ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि के अवसर पर सीएम योगी गोरखनाथ मंदिर में आयोजित साप्ताहिक पुण्यतिथि समारोह के शुभारंभ में शामिल हुए। इस दौरान उन्होने कहा कि हमने कभी नहीं कहा कि हिंदू होने की परिभाषा मंदिर जाना और टीका लगाना है। सदाचार के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देना और अपने कर्तव्यों को पूरा करना ही हिन्दू धर्म है। व्यक्ति के साथ समाज और संसार का कल्याण भाव ही धर्म है। हमने इसे किसी संकीर्णता के साथ नहीं जोड़ा। हमारे यहां अवतारों की परंपरा यही कहती है।
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उन्होंने कहा कि गोरक्षपीठ अपने पूज्य आचार्यों दिग्विजय नाथ और अवेद्यनाथ की स्मृति में इस कार्यक्रम को हर साल मनाती है। इन दोनों पूज्य संतो का जीवन जिस लोक कल्याण के लिए समर्पित था, इसी विषय पर आज की गोष्टि रखी गयी है।।जब हमारी संस्कृति की बात आती है तो उसका निचोड़ परोपकार में सम्पन्न होता है। लोक कल्याण उसका ध्येय है। प्राचीन काल से जब दुनिया अन्धकार में थी उस समय भारत में गुरुकुल परम्परा में लोगों को सत्य का भाव कराया जाता था। सरकार उतना काम नहीं करती जितना धर्मार्थ और सांस्कृतिक संगठन द्वारा लोक कल्याण कराया जाता है।