कुषोषण से जूझ रही अल्मोड़ा की बालिका अस्पताल में भर्ती
देहरादून।
अल्मोड़ा जिले की चौखुटिया तहसील के खजुरानी गांव में कुपोषण से बालिका की मौत के मामले को उत्तराखंड सरकार ने बयानबाजी करके रफा दफा कर दिया था। हालांकि इस बालिका की भूख से मौत का मामला खुद सत्तारूढ भाजपा के विधायक ने उठाया था। सरकार ने अब तक इन सबसे सबक नहीं लिया। इस बालिका की बहन भी कुपोषण से जूझ रही है, जिसकी ओर जिला प्रशासन और सरकार का ध्यान नहीं है। हंस फाउंडेशन की मदद से देहरादून के हिमालयन इंस्टीट्यूट में 13 साल की इस बालिका का इलाज चल रहा है। द्वाराहाट के विधायक महेश नेगी बालिका का हालचाल जानने के लिए हिमालयन हॉस्पिटल पहुंचे।
इसी साल अप्रैल में अल्मोड़ा के खजुरानी गांव की बालिका सरिता की मौत हो गई थी। विधायक महेश नेगी ने बालिका की भूख से मौत होने की सूचना मुख्यमंत्री को दी थी। बाद में सरकार ने बाद मौत की वजह भूख को मानने से इनकार कर दिया था। पांच सदस्यों वाले इस परिवार के अधिकतर सदस्य कुषोषण से जूझ रहे हैं। पूरा परिवार जानकी देवी पर निर्भर है औऱ आजीविका का कोई साधन नहीं है। इस मामले को लेकर खूब सियासत हुई थी। इस परिवार की एक ओर बेटी की हालत गंभीर बनी है। कक्षा आठ में पढ़ने वाली 13 साल की बालिका नीतू का स्वास्थ्य गंभीर हो गया। आर्थिक रूप से बेहद कमजोर इस परिवार के सामने उसके इलाज का संकट बन आया। इस बालिका के दो बड़े भाई दीवान सिंह (22) और हेमंत सिंह (17) तथा चाचा अर्जुन सिंह भी इस गंभीर बीमारी की वजह से लाठी के सहारे या जमीन पर सरक कर चलते हैं। सूचना मिलने पर हंस फाउंडेशन की टीम ने बालिका को हिमालयन इंस्टीट्यूट में भर्ती कराया है। यहां डॉ. अनिल रावत और डॉ. अल्पा गुप्ता इस बालिका का इलाज कर रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार यह एक तरीके की कुपोषण की बीमारी है, लेकिन इस बीमारी के क्या कारण है, इसकी जांच की जा रही है। कुछ दिन में रिपोर्ट मिलने की उम्मीद है।
मालूम हो कि पिछले साल नवंबर में यूकेडी नेता पुष्पेश त्रिपाठी ने तत्कालीन सीएम हरीश रावत को पत्र लिखकर इलाज और भरणपोषण के लिए कम से कम दो लाख रुपये स्वीकृत करने की मांग की थी। त्रिपाठी ने बताया था कि परिवार के सभी छह सदस्य मानसिक और शारीरिक रूप से विकलांग हैं और आय का कोई साधन नहीं है। सीएम ने 50 हजार रुपये की सहायता स्वीकृत की थी, लेकिन सरकारी सिस्टम ने इस परिवार की हालत जानने और बीमारी का इलाज करने की जरूरत नहीं समझी थी। बाद में इस परिवार की बालिका सरिता की मौत के बाद कांग्रेस और भाजपा ने सियासत की थी और कुछ दिन बाद मामला शांत हो गया था। इस परिवार को उसके हाल पर ही छोड़ दिया गया था।
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