- बिजली, एसी से होने वाले नुकसान को कम करेंगे पौधे
- राजभवन में रोपे गए 50 पौधे, इस माह 300 और रोपे जाएंगे
देहरादून।
पर्यावरण संरक्षण के लिए शानदार और दूरगामी पहल करते हुए राजभवन का एनर्जी ऑडिट कराया गया, जिससे यह पता लगाया गया कि वहां कितनी ऊर्जा का उपभोग हो रहा है और इससे पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंच रहा है। रिपोर्ट के आधार पर यह स्पष्ट हो गया कि राजभवन में एनर्जी उपभोग से बनने वाले कार्बन फुटप्रिंट से पर्यावरण बचाने के लिए कितनी हरियाली चाहिए यानि कितने पौधे लगाए जाएं, ताकि वहां पर्यावरण संतुलन बना रहे। इसके तहत बुधवार को 50 पौधे रोपे गए।
राजभवन के एनर्जी ऑडिट के तहत मैथेमेटिकल केलकुलेशन किया गया है कि यहाँ कितनी एनर्जी इस्तेमाल की जा रही है। इस एनर्जी से कितना कार्बन फुटप्रिन्ट बनता है। इसके अनुसार राजभवन परिसर में पौधारोपण किया जा रहा है। बुधवार को हरेला पर्व के तहत राजभवन परिसर में पौधारोपण करते हुए राज्यपाल डॉ. कृष्ण कांत पाल ने कहा कि हमने राजभवन में एक एनर्जी ऑडिट किया है। जिससे यह पता लगा कि राजभवन में बिजली, एयर कंडीशन आदि की वजह से कितनी एनर्जी का उपभोग कर रहे हैं। उसका कितना कार्बन फुट प्रिन्ट बनता है। इसको संतुलित करने के लिए कितने पेड़ लगाने चाहिए। इसका एक गणितीय आकलन किया गया है। इसीलिए 50 पौधे लगाए गए हैं। जुलाई माह में ही 300 और पेड़ राजभवन में लगाए जाएंगे। लगाए गए पेड़ों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाएगी। इससे पहले राजभवन परिसर में राज्यपाल ने आम की कलर प्रजाति का पौधा लगाया। राज्यपाल ने कहा कि हरेला के सांस्कृतिक पक्ष के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी इसका बहुत महत्व है। प्रयास यही है कि ज्यादा से ज्यादा हरियाली हो जिससे पर्यावरण का संतुलन बना रहे। उत्तराखंड में ही चिपको आंदोलन से वृक्षों की रक्षा का जनअभियान शुरू किया गया था। ये बहुत महत्वपूर्ण है कि उत्तराखंड, पर्यावरण संरक्षण के लिए आज भी देश को एक सही दिशा दिखा रहा है।
सार्वजनिक स्थलों के एनर्जी ऑडिट की जरूरत
राजभवन जैसी पहल की जरूरत राज्य की अन्य इमारतों और सार्वजनिक स्थलों पर भी महसूस की जा रही है, ताकि यहां एनर्जी उपभोग से होने वाले पॉल्युशन का आकलन कराया जा सके। इसके आधार पर पर्यावरण को बैलेंस बनाने के लिए पौधारोपण और अन्य उपाय किए जाएं। देहरादून शहर में पॉल्युशन की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। इसकी मुख्य वजह गाड़ियों की संख्या में लगातार वृद्धि होना भी है। इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। देहरादून के सचिवालय, कलक्ट्रेट, आईएसबीटी, घंटाघर, रिस्पना जैसे कई स्थानों पर वाहनों और अन्य कारकों से पर्यावरण को होने वाले नुकसान का आकलन करके इसको हरियाली बढ़ाकर संतुलित किया जा सकेगा।
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