2019 चुनाव: भाजपा के लिए अस्तित्व की लडाई!…
जगजीत शर्मा (स्थानीय संपादक हरियाणा)
हरियाणा: जैसे-जैसे 2018- बीत रहा है और 2019 नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज होती जा रही हैं। गली-मुहल्ले में, पान की दुकान पर, नाई की दुकान पर, सोशल मीडिया में हर ओर सिर्फ़ एक ही चर्चा है कि 2019 में राजनीति का ऊँट किस करवट बैठेगा। 2019 में सरकार किस पार्टी की होगी, कौन बनेगा प्रधानमंत्री?
गठबंधनों का दौर चल रहा है, सभी राजनीतिक दल…
राजनीति की शतरंज का शह और मात का खेल शुरू हो चुका है। राजनीतिक शतरंज के शह और मात के इस खेल में देश की सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी-अपनी गोटिया फिट करने में लगी हुई है। गठबंधनों का दौर चल रहा है, सभी राजनीतिक दल अपने-अपने हिसाब से मजहब और जातियों का समीकरण देखकर अपनी चाले चल रही हैं। ऐसे में देश की 132 करोड़ जनसंख्या के सामने एक यक्ष प्रश्न मुँह बाँया खड़ा है कि आने वाले समय में देश की सर्वोच्च सत्ता किस के हाथों में होगी? कौन बनेगा प्रधानमंत्री? चुनाव से पहले ही देश यह जानने के लिए उत्सुक है और बडे-बडे मीडिया संस्थानों के टीवी चैनल अपनी टीआरपी बनाने के लिए सर्वे भी दिखाते रहते हैं, पर टीवी चैनलों के सर्वे पर देश के बहुत बड़े प्रबुद्ध तबके का विश्वास नहीं है।
क्षेत्रीय दलों का अस्तित्व इन राज्यों में लगभग ना…
2019 लोकसभा चुनाव से पहले देश के चार राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, झारखंड, छतीसगढ़, मध्यप्रदेश, और राजस्थान में 2018 के अंत में चुनाव होने जा रहे हैं। इन सभी राज्यों में बीजेपी की सरकार है और इन में सीधा मुकाबला देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस और देश की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी के बीच में है। क्षेत्रीय दलों का अस्तित्व इन राज्यों में लगभग ना के बराबर है, यानि साफ जाहिर है कि भारतीय जनता पार्टी का सीधा मुकाबला कांग्रेस के साथ होने जा रहा है।
यदि वास्तव में ऐसा हुआ तो यह कांग्रेस के लिए मृत संजीवनी बूटी की तरह…
2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही कांग्रेस मोदी के विराट व्यक्तित्व के चलते लगातार हाशिए पर चल रही है, मतलब यह कि कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है और पाने के लिए बहुत कुछ है। राजनैतिक पंडितों से मिल रही खबरों के अनुसार राजस्थान, मध्यप्रदेश, सहित बाकि के दोनों राज्यों में बीजेपी की हालत पतली चल रही है, सत्ता परिवर्तन तय है। यदि वास्तव में ऐसा हुआ तो यह कांग्रेस के लिए मृत संजीवनी बूटी की तरह होगा और बीजेपी के वर्तमान नेतृत्व की उस महत्वाकांक्षा पर कुठारघात होगा जिसमें वह देश पर 50 साल राज करने का सपना संजोए है।
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में ही अकेले 80 में…
2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही बीजेपी अपराजेय रही है, दिल्ली, और पंजाब को छोड़ दें तो २014 के बाद हुए हर विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को जीत हांसिल हुई है, इसके उलट हर उपचुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है। पिछले चुनाव में बीजेपी की प्रचंड जीत की सबसे बड़ी वजह प्रधानमंत्री मोदी की विकास पुरुष की छवि रही थी, इसी का परिणाम था की उतर भारत में बीजेपी को अप्रत्याशित सफलता मिली थी। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में ही अकेले 80 में से 73 सीटें प्राप्त हुई थी। इस बार स्थिति विपरीत रहने वाली है माया, अखिलेश के गठजोड़ ने बीजेपी के रणनीतिकारों के होश उडा कर रख दिए हैं।
बीजेपी का चाणक्य का तमगा प्राप्त अमितशाह और मोदी की…
कांग्रेस हांलाकि फिलहाल गठबंधन से बाहर है लेकिन उम्मीद है आने वाले समय में वो भी गठबंधन का हिस्सा होगी और यादि ऐसा हुआ, महागठबंधन परवान चढा तो तय है की बीजेपी का चाणक्य का तमगा प्राप्त अमितशाह और मोदी की सभी रणनीति धवस्त होने वाली हैं। स्थिति 2014 से एकदम उलट होगी, बीजेपी का ठीक वो हस्र होगा जो पिछले चुनाव में विपक्ष का हुआ था। उतर प्रदेश में 80 में से 73 सीटे पाने वाली बीजेपी हो सकता है 2019 चुनाव में दो या तीन सीटों पर ही सिमट जाए।
चारा घोटाले में लालू जेल में है परन्तु उनकी…
बिहार में महागठबंधन के चलते बीजेपी को बड़ी हार मिली थी, हालांकि बाद में नितिश कुमार की महत्वाकांक्षा और अमित शाह की कुटिलनीति के चलते बिहार में महागठबंधन टूट गया। बिहार में तो एनडीए की सरकार बन गई पर लालू यादव की पार्टी सबसे बड़ा दल बन कर उभरी और आज भी वो स्थिति कायम है। चारा घोटाले में लालू जेल में है परन्तु उनकी इस स्थिति के चलते आज लालू की भूमिका राजनैतिक शहीद के तौर देखी जा रही है। लालू यादव के उतराधिकारी के तौर पर तेजस्वी की लोकप्रियता में इजाफा हुआ है। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस गठबंधन एनडीए को जबरदस्त नुकसान पहुंचाने जा रहा है।
मोदी लहर में भी आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा में प्रचंड जीत के साथ..
दिल्ली में केजरीवाल से पार पाना आज भी बीजेपी के लिए दूर की कौड़ी है। मोदी लहर में भी आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा में प्रचंड जीत के साथ मोदी के अहम को जबरदस्त चोट करी थी, हांलाकि लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते सभी 7 सीटों पर बीजेपी को सफलता मिली थी पर इस चुनाव में मोदी लहर नहीं है। केन्द्र की मोदी सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी हुई हैं इन मुद्दों को चुनाव में कैसे भुनाया जाता है
यह मोदी के बाद केजरीवाल से बेहतर और कौन जानता…
यह मोदी के बाद केजरीवाल से बेहतर और कौन जानता है, इसके अलावा केजरीवाल ने मोदी को रोकने के नाम पर महागठबंधन का हिस्सा बनने के संकेत भी दिए हैं। मतलब दिल्ली में भी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन के कयास लगने शुरू हो गए हैं। इस स्थिति में परिणाम का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है, हांलाकि कांग्रेस प्रत्यक्ष तौर पर केजरीवाल से किसी भी प्रकार के गठबंधन से इंकार कर रही है पर कांग्रेस के पास इसके अलावा कोई दूसरा चारा भी नहीं है।
जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड, पंजाब व हरियाणा जैसे छोटे राज्यों में जहां…
मध्यप्रदेश, राजस्थान, छतीसगढ़ और झारखंड की बात करें तो आने वाले विधानसभा चुनाव के नतीजे बहुत हद तक तस्वीर साफ कर देंगे और इस में दो-राय नहीं है कि अगर नतीजे बीजेपी के अनकूल नहीं आये, जैसा कि बहुप्रतिक्षित है तो बीजेपी के साथ ही, एनडीए में भी हडकंप मचना तय है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड, पंजाब व हरियाणा जैसे छोटे राज्यों में जहां कहीं बीजेपी और कांग्रेस में सीधा मुकाबला होता है तो कहीं-कहीं क्षेत्रीय दलो की भूमिका को भी नजऱदांज नही किया जा सकता।