क्या आप जानते है इस मंदिर के बारे में…जो साल में सिर्फ एक बार 12 घंटे के लिए खुलता है…!

मंदिर

छत्तीसगढ़: भारत में ऐसे अनेकों मंदिर हैं जिनकी पौराणिकता और मान्यता एक निश्चित परिधि के भीतर ही छिपी हुई है। छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में स्थित माता लिंगेश्वरी का मंदिर ऐसा ही है।

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छत्तीसगढ़ के भीतर इसकी काफी मान्यता है लेकिन राज्य से बाहर इसके बारे में कम ही लोग जानते हैं। यह मंदिर साल में सिर्फ 12 घंटे के लिए खुलता है। दर्शन करने के लिए दर्शनार्थियों को रेंग कर पहुंचना पड़ता है। छत्तीसगढ़ के जिस इलाके में यह मंदिर मौजूद है, वह नक्सल प्रभावित इलाका माना जाता है। लिहाजा वह शहर के लोगों का आना-जाना काफी कम है।

हरे-भरे जंगलों के बीच एक छोटा सा गांव है अलोर, इसी गांव के किनारे पहाड़ों पर एक प्राकृतिक निर्माण है। इस निर्माण के द्वार पर एक छोटा सा पत्थर रखा हुआ है। इसे पत्थर को हटाने के बाद ही मंदिर में प्रवेश किया जा सकता है। यहां मौजूद देवता को शिव और पार्वती के समन्वित स्वरूप को लिंगेश्वरी के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की एक और खासियत है, कहते हैं कि मंदिर में विराजमान देवता को खीरा चढ़ाओ तो मुंह मांगी मुराद पूरी होती है। लिहाजा मंदिर के बाहर भारी संख्या में खीरा मिलता है और प्रसाद के तौर पर लोग खीरा खाते भी है। जिसकी वजह से मंदिर के आस-पास के इलाकों में खीरे की एक अजब ही सुगंध मिलती है।

ऐसी मान्यता भी है कि यदि विवाहित जोड़े औलाद की चाह रखते हैं तो उन्हें लिंगेश्वरी माता को खीरा चढ़ाना चाहिए। मंदिर एक विशाल पर्वत पर स्थित है, जहां खड़े होकर दर्शन करना संभव नहीं है। लिहाजा लोग रेंग-रेंग कर दर्शन करते हैं। साल में एक दिन, कुछ ही घंटों के लिए खुलने की वजह से यहां भारी संख्या में लोग पहुंचते हैं। जिला प्रशासन के द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं। मंदिर और जिला प्रशासन मिल जुलकर इस दिन दर्शन करवाते हैं।