क्या आप जानते है भारत की आखिरी चाय के दुकान के बारे में…!
अक्सर देखा गया है ट्रिप के वक्त लोग बार-बार चाय पीना पसंद करते है। वो घूमने-फिरने के साथ चाय पीने के इतने शौकीन होते हैं, कि वो चाय का अलग-अलग जायका लेने किसी छोटे से छोटे गांव या किसी भी जगह चले जाते हैं।
यह गांव भारत और चीन की सीमा से…
वहीं आज हम आपको दुनिया की ऐसी ही अनोखी चाय की दुकान के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर चाय पीने दुनिया भर से पर्यटक आते हैं। उत्तराखंड अपनी हसीन वादियों, शांत वातावरण और देवों की भूमि के लिए भारत के लेकर पूरे विश्व तक प्रसिद्ध है। वहीं उत्तराखंड के चमोली जिले में माणा गांव स्थित है। यह गांव भारत और चीन की सीमा से कुछ ही दूरी पर है।
इन्हीं गुफाओं में वेदव्यास ने महाकाव्य ‘महाभारत’ रचा…
समुद्र तल से 11 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित इस गांव में एक छोटी-सी चाय की दुकान है। इस दुकान को भारत की आखिरी चाय की दुकान के नाम से जाना जाता है। यह दुकान वेदव्यास की गुफाओं के पास स्थित है। कहते हैं कि इन्हीं गुफाओं में वेदव्यास ने महाकाव्य ‘महाभारत’ रचा था।
इस दुकान का नाम यहां 10 भाषाओं में लिखा…
जो भी यहां आता है, एक फोटो तो जरूर खिंचवाता है। इस दुकान का नाम यहां 10 भाषाओं में लिखा है ताकि यहां से गुजरने वाले अधिक से अधिक लोग इस दुकान की खासियत से रूबरू हो सकें। वैसे, कायदे से देखा जाए तो उधर से आने वालों के लिए यह देश की पहली चाय की दुकान होगी।
पच्चीस साल से कड़ाके की ठंड में सैलानियों को गर्मागर्म…
सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र चाय की यह दुकान है चंद्रसिंह बड़वाल की जो लगभग पच्चीस साल से कड़ाके की ठंड में सैलानियों को गर्मागर्म चाय पिला रहे हैं। वे बताते हैं कि जब वे दस साल के थे तब उन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए धनार्जन के वास्ते यह दुकान खोली थी और वे स्कूल में पढ़ने के लिए जाने से पहले और वहाँ से लौटने के बाद दुकान चलाया करते थे।
छह माह तक बर्फ के आगोश में रहता…
उन्होंने बताया कि हर साल उनकी चाय की दुकान बद्रीनाथ के कपाट खुलने के समय खुलती है। अक्टूबर माह के अंत में सर्दियों में वे मवेशियों के साथ गोपेश्वर के निचले इलाकों में चले जाते हैं। समुद्र तल से 11 हजार फुट की ऊँचाई पर स्थित माना छह माह तक बर्फ के आगोश में रहता है