दिलीप कुमार के पाकिस्तान स्थित पैतृक मकान की सुरक्षा की मांग

हिंदी सिनेमा में ट्रेजिडी किंग मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार का पाकिस्थान स्थित एक सदी पुराना पैतृक मकान ढह गया है। स्थानीय प्रशासन ने कहा कि उसी जगह पर पुराने जैसा मकान शीघ्र बनाया जाएगा। सांस्कृतिक विरासत परिषद के महासचिव शकील वहीदुल्ला ने कहा कि ख्वानी बाजार के निकट मोहल्ला खुदा दाद स्थित इस मकान का सामने वाला हिस्सा और दरवाजा ही बाकी बचा है। शहर के लोगों ने ऐतिहासिक स्थल के संरक्षण में लापरवाही के लिए खैबर पख्तूनख्वा सरकार की आलोचना की है। पुरातत्व विभाग ने 2014 में इसे राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया था।

दिलीप कुमार को उनके दौर का बेहतरीन अभिनेता माना जाता है। उन्हें भारतीय फिल्मों के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। दिलीप कुमार को पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ से भी सम्मानित किया जा चुका है। दिलीप कुमार का असली नाम मुहम्मद युसुफ़ खान है। उनका जन्म पाकिस्तान के शहर पेशावर में हुआ था। उनके पिता मुंबई आ गए थे। यहीं से उन्होंने हिन्दी फिल्मों मे काम करना शुरू किया।

उनकी पहली फिल्म ’ज्वार भाटा’ थी, जो 1944 मे आई थी। 1949 मे बनी फिल्म अंदाज़ की सफलता ने उन्हे रातों रात स्टार बना दिया। इस फिल्म मे उन्होंने राज कपूर के साथ काम किया था। ’दीदार’ (1951) और ’देवदास’ (1955) जैसी फिल्मों मे दुखद भूमिकाओं के मशहूर होने के कारण उन्हे ’ट्रेजिडी किंग’ कहा जाता है।

’मुगले-ए-आज़म’ (1960) मे उन्होने मुग़ल राजकुमार जहांगीर की भूमिका निभाई थी। यह फिल्म पहले ब्लैक एंड व्हाइट थी लेकिन बाद में 2004 में उन्नत तकनीक की मदद से रंगीन बनाई गई। अंतिम बार बड़े पर्दे पर वह साल 1998 में फिल्म ‘किला’ में नजर आए थे। दिलीप कुमार ने मशहूर और खूबसूरत अभिनेत्री सायरा बानो से साल 1966 मे शादी की थी। शादी के समय दिलीप कुमार 44 साल के तथा सायरा बानो की 22 वर्ष की थीं। उम्र में लंबा अंतर होने के बावजूद भी दोनों की शादी सफल रही तथा हर मोड़ पर एकदूसरे के साथ रहे हैं।

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