देवभूमी Uttarakhand के 24 साल हूए पूरे, जानिए उत्तराखंड का इतिहास | Nation One
Uttarakhand – प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतिक देवभूमी उत्तराखंड की स्थापना 9 नवंबर 2000 को हुई थी। उत्तर प्रदेश से काटकर उत्तराखंड को अलग राज्य का दर्जा दिया गया था। बता दें कि पहले इसी क्षेत्र को उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था, जोकि उत्तर प्रदेश का भाग था। कई सालों के संघर्ष और दर्जनों कुर्बानियों के बाद भारत के 27 राज्य के रूप में उत्तराखंड का निर्माण किया गया था। स्वं श्री नित्यानंद स्वामी जी ने उत्तराखंड के पहले मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश की जिम्मेदारी संभाली थी।
सन 2000 से 2006 तक इसे उत्तरांचल के नाम से जाना जात था। हालांकि जनवरी 2007 में स्थानीयी लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया।उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से अलग करने के पीछे आर्थिक, भौगोलिक, सांस्कृतिक और कई तरह के कारण रहे। इस पहाड़ी राज्य की अपनी एक अलग पहचान मिले इसके लिए करीब सौ साल का संघर्ष चला और 40 से ज्यादा लोग इस संघर्ष में शहीद हुए। उत्तराखंड का अलग राज्य बनने का सफर उतना आसान नहीं था जितना आज हमें लगता है।
Uttarakhand : पहली बार ब्रिटिश राज में उठी थी अलग राज्य की मांग
सुनने में हैरानी हो सकती है, लेकिन उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने की मांग सबसे पहले 1897 में उठी थी, जब ब्रिटिश हुकूमत का दौर था। तब के समय में पहाड़ी लोगों ने महारानी से एक अलग राज्य की जरूरत का जिक्र किया, लेकिन उस पर ध्यान नहीं दिया गया। इसके बाद, 1923 में भी संयुक्त प्रांत के राज्यपाल के सामने फिर से मांग रखी गई, और 1938 में श्रीनगर गढ़वाल में कांग्रेस अधिवेशन के दौरान पंडित नेहरू ने इस मांग का समर्थन भी किया. फिर भी, एक अलग राज्य का सपना अधूरा रह गया।
Uttarakhand : 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ उत्तराखंड में है।
देवभूमी कहे जाने वाले उत्तराखंड में साक्षात देवो के वास है। हिंदू धर्म के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग केदारनाथ उत्तराखंड में है। हिंदूओं के चारों धाम केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री भी उत्तराखंड में स्थित है। उत्तराखंड में प्रसिद्ध पांच प्रयाग (नदियों के संगम का स्थान) मंदिर देवप्रयाग, कर्णप्रयाग, नंदप्रयाग, रुद्रप्रयाग और विष्णुप्रयाग भी हैं। वही सिक्खों के प्रमुख धार्मिक स्थलों में एक हेमकुंड साहिब उत्तराखंड की सुंदर पहाडियों में स्थित है।
उत्तराखंड दो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों, फूलों की घाटी और नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान का घर है।भारत के टॉप दो पर्वतारोहण संस्थान उत्तराखंड में मौजूद हैं। उत्तरकाशी में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान 1965 में स्थापित किया गया था और यह देश के सबसे प्रसिद्ध संस्थानों में से एक है। दूसरा उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी में पंडित नैन सिंह सर्वेयर पर्वतारोहण प्रशिक्षण संस्थान है। साथ ही उत्तराखंड का ऋषिकेश वल्र्ड योगा कैपिटल की तरह जानी जाती है। यहां कई प्रसिद्ध योग और ध्यान संस्थान हैं, जो आमतौर पर दुनिया भर से अनुयायियों और योग चिकित्सकों की भीड़ से घिरे रहते हैं।
बहुत कम लोग ये जानते हैं कि उत्तराखंड का तुंगनाथ दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है। माना जाता है कि मंदिर एक हजार साल से अधिक पुराना है, और महाभारत से पांडवों से जुड़ा हुआ है। और सिर्फ तुंगनाथ ही नही उत्तराखंड के चमोली गढ़वाल जिले में नंदा देवी चोटी भारत की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है, जो समुद्र तल से 7816 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद है।
रिपोर्ट – आस्था पूरी
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