देहरादून: जब ससुर ने समाज की रूढ़ियों को तोड़कर विधवा बहू को बेटी बनाकर किया कन्यादान,पढ़िए पूरी खबर…

देहरादून: जब ससुर ने समाज की रूढ़ियों को तोड़कर विधवा बहू को बेटी बनाकर किया कन्यादान,पढ़िए पूर खबर...

 देहरादून: अब तक तो आपने सिर्फ कहानियों या फिल्मों में ही देखा या सुना होगा कि किसी ससुर ने अपनी विधवा बहू का पिता बनकर कन्यादान किया हो। लेकिन आज के समाज में भी एेसे लोगों का मिलना बहुत बड़ी बात हो जो अपनी बहू को अपनी सगी बेटी की तरह ही प्यार किया हो। आपने अाजकल देखा होगा कि आज भी कई एेसे लोग है जो विधवा को इस समाज में बुरी निगाहों से देखते हैं। विधवा के लिए दूसरी शादी करना तो दूर की बात हो घर से बाहर शादी विवाह में निकलने भी नहीं दिया जाता है। लेकिन देहरादून के इस सास-ससुर ने पिता बनकर अपनी विधवा बहू की धूमधाम से शादी करके मानवता की एक मिशाल कायम कर दी है। समाज को प्रेरित करने के लिए इससे बेहतर उदाहरण क्या हो सकता है। आइए आपको बताते हैं पूरी कहानी।

देहरादून: जब ससुर ने समाज की रूढ़ियों को तोड़कर विधवा बहू को बेटी बनाकर किया कन्यादान,पढ़िए पूर खबर...

पूरा मामला देहरादून जिले के बालावाल का है। यहां विजय चंद और कमला परिवार के साथ रहते हैं। वर्ष 2014 में विजय चंद के बड़े बेटे संदीप की शादी कविता नाम की लड़की से हुई। परिवार में खुशियां थी, सब कुछ ठीक चल रहा था। अचानक वर्ष 2015 में संदीप की हरिद्वार में सड़क हादसे में मौत हो गई। मानो इस परिवार की खुशियों पर किसी की नजर लग गई। विजय चंद के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। इसके बाद पूरे परिवार ने ना खुद हिम्‍मत हारी और न ही अपनी बहू कविता को हारने दी। उन्होने कविता के घर को फिर से बसाने की सोची। उसके जीवन में फिर से उम्मीद की एक नई किरण जागाई। एस बहू के लिए इससे अच्छा पल और क्या हो सकता है।

यह भी पढ़ें:अब पहाड़ों में भी बेहतर होगी स्वास्थ्य सुविधाएं, साल 2019 में होगी 500 डॉक्टरों की नियुक्ति..

वही बेट की मौत के बाद विजय चंद और कमला ने कविता की सहमति से उसके लिए लड़का तलाशना शुरू किया। उन्‍होंने ऋषिकेश निवासी तेजपाल सिंह को कविता के लिए पंसद दिया। दोनों परिवार की सहमति से तेजपाल और कविता की शादी हो गई। विजय चंद और कमला ने कविता को अपनी बेटी की तरह ससुराल के लिए विदा किया।

कविता बताती हैं कि मैं कभी भी अपने सास-ससुर को अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी। उनकी मौत के बाद में अपने घर अपनी मां-पापा के पास जा सकती थी लेकिन जिस सास-ससुर ने मुझे अपनी बेटी की तरह प्यार किया हो मै उन्हें अकेला छोड़ कर कैसे जा सकती थी। कहती हैं कि उन्‍होंने मुझे बहुत प्‍यार और सम्‍मान दिया। मैंने जब जिसकी मांग की, मेरी हर बात को मेरे ससुराल पक्ष ने पूरा किया। मुझे अपनी बेटी की तरह ही प्‍यार दिया। इस घटना के बाद मैं अपने माता-पिता के पास चली जाती तो शायद मेरे सास-ससुर टूट जाते।

यह भी पढ़ें:भारत में आया बैटरी से चलने वाला पहला क्रेडिट कार्ड, बैठे-बैठे उठाएं इन सुविधाओं का लाभ…

वाकई में आज के इस समाज में ऐसे सास -ससुर का मिलना सोने पर सुहागा जैसा हैं। समाज मेें आज भी कई ऐसे लोग हैं जो एक विधवा को बुरी निगाहों से देखते है। यहां तक की उन्हे किसी शुभ कार्य में आने के लिए भी टोकते है। लेकिन कविता के सास-ससुर ने एक मिसाल पेश की है।