कोरोना संकटः जेल से रिहा होंगे तमाम कैदी I Nation One
कोरोना संकट के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने बंदियों को पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया है। उत्तराखंड की बात करें तो यहां की जेलों में क्षमता से डेढ़ गुना से अधिक बंदी हैं। इनमें से 61 फीसदी विचाराधीन है। उत्तराखंड सरकार की ओर से रिहाई के लिए बनी कमेटी ने इस बारे में जेल प्रशासन के आदेश जारी कर दिए हैं।
सूचना अधिकार कार्यकर्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता नदीम उद्दीन जेल की क्षमता और बंद कैदियों के बारे में सूचना मांगी थी। कारागार मुख्यालय की ओर से नदीम को दी गई सूचना के अनुसार उत्तराखंड स्थित कुल 11 जेलों की क्षमता 3540 कैदियों की है। इनमें सूचना उपलब्ध कराने की तिथि को 5748 कैदी बंद है। इसमें 2259 सिद्धदोष (सजायाफ्ता) तथा 3489 विचाराधीन कैदी है। यानि कुल कैदियों में 61 कैदी विचाराधीन हैं। हल्द्वानी जेल की क्षमता केवल 382 कैदियों की है। जबकि वहां 1304 कैदी बंद हैं।
अल्मोड़ा जेल में 102 की क्षमता के विपरीत 232 कैदी हैं। देहरादून जेल में 1305 कैदी हैं। इसी तरह हरिद्वार, रूड़की, नैनीताल, टिहरी और पौड़ी जेल में भी क्षमता से अधिक बंदी हैं। सम्पूर्णनन्द शिविर सितारगंज में की क्षमता 300 कैदियों की है। यहां केवल 45 कैदी ही है। इसी तरह चमोली और केंद्रीय कारगार सितारगंज में क्षमता से कम कैदी हैं।
कोरोना संकट के मद्देनजर पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को जेलों में कैदियों की संख्या कम करने के लिए पैरोल या जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था। सरकार ने इसके लिए एक कमेटी बनाई है। कमेटी ने सभी जेल प्रशासन को आदेश दिया है कि सजायाफ्ता कैदियों से आवेदन लेकर उन्हें छह माह के पैरोल पर रिहा किया जाए। इसी तरह विचाराधीन कैदियों को जमानत के लिए संबंधित कोर्ट में आवेदन करना होगा I