वनों और बाघ की सुरक्षा को लेकर संयुक्त सेमिनार का किया आयोजन
गुरुवार को एफटीआई में भारत और नेपाल के अधिकारियों की बैठक हुई। जिसमें वनों और बाघों की सुरक्षा को लेकर मंथन किया गया। एफटीआई शताब्दी सभागार में भारत और नेपाल के वन विभाग के अधिकारियों के बीच वनों और बाघ की सुरक्षा को लेकर संयुक्त सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें दोनों देशों के अधिकारियों ने दोनों देशों की सीमाओं पर जंगलों व बाघों की सुरक्षा को लेकर चर्चा की।
बताया गया कि दोनों देशों की सीमाओं पर वन विभाग के अधिकारियों के लिए बाघों और जंगलों की सुरक्षा को लेकर एक जैसी चुनौतियां हैं। जिसके लिए दोनों देशों के अधिकारी संयुक्त रूप से कार्य कर सकते हैं। बताया गया कि वन तस्कर बाघों का शिकार कर एक दूसरे की सीमाओं पर पहुंच जाते हैं। जिसके चलते उनके खिलाफ कार्यवाही मुश्किल हो जाती है। जिसके चलते दोनों के अधिकारी संयुक्त रुप से कार्य कर इस चुनौती का मुकाबला कर सकते हैं।
वनों और वन्यजीवों को बचाने के लिए पेट्रोलिंग करने की जरूरतः जोशी
सेमिनार में मुख्य वन संरक्षक कपिल जोशी ने कहा दोनों देशों के वनों और वन्यजीवों को बचाने के लिए पेट्रोलिंग करने की जरूरत है। एसएसबी के कमांडेंट आरके त्रिपाठी ने कहा की २६ खुले रास्ते है। जिसके चलते हर तरह की तस्करी हो रही है। नेपाल से आए मुख्य वन संरक्षक दिल बहादुर ने कहा मिलजुल कर ही तस्करी रोकी जा सकती है। दोनों देशों के वन अधिकारियों के बीच तस्करी रोकने और जंगलों को बचाने के लिए तकनीकी के आदान-प्रदान पर भी चर्चा की गई। वन अधिकारियों ने माना कि हम लोग एक दूसरे की मदद से ही वन्य जीवों की तस्करी पर रोक लगा सकते हैं। कार्यक्रम का संचालन डा. पराग मधुकर धकाते ने किया।