चीन एक मजबूत राष्ट्र लेकिन भारत भी कमजोर नहींः सेना प्रमुख

सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा कि रासायनिक, जैविक, रेटियोलॉजिकल और परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के खतरा आज वास्तविकता का रुप धारण कर रहा है। वे डीआरडीओ कार्यशाला और सीबीआरएन रक्षा प्रौद्योगिकियों की प्रदर्शनी का उद्घाटन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सीबीआरएन हथियारों का इस्तेमाल मानव जगत और व्यापार जगत को खतरे में डाल सकता है। जिसकी भरपाई करने में एक लंबा समय लग जाएगा। खतरनाक हथियारों से निपटने के लिए, रावत ने सुरक्षा तकनीकों, उपकरणों और प्रणालियों को विकसित करने और सैनिकों को प्रशिक्षण प्रदान करने का सुझाव दिया। इससे पहले भी सेना प्रमुख ने हथियारों के इस्तेमाल पर खुलकर अपने विचार रखे हैं। उन्होंने हमेशा से हथियारों के इस्तेमाल में भी ‘मेड इन इंडिया’ पर जोर दिया है।

सेना प्रमुख ने स्वदेशी हथियारों पर दिया था जोर

पिछले दिनों नई दिल्ली में आयोजित इस सेमिनार में सेना प्रमुख ने स्वदेशी हथियारों के इस्तेमाल पर जोर दिया था। आर्मी टेक्नोलॉजी सेमिनार में सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कहा कि हर क्षेत्र में हमारे सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण की बहुत बड़ी आवश्यकता है। भविष्य में होने वाले युद्ध कठिन क्षेत्रों और परिस्थितियों में लड़े जाएंगे, ऐसे में हमें उनके लिए तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम हथियारों के आयात से आगे बढ़ें। बिपिन रावत ने कहा कि हमें हल्के वजन के बुलेट प्रूफ हथियार और ईंधन सेल तकनीक की जरूरत है। हमें पूरी उम्मीद है कि अगर हमें इंडस्ट्री का सपोर्ट मिलता है तो हम इस राह में एक कदम और आगे बढ़ेंगे।

भारतीय फौज को और मजबूत बनाने की जरुरत

बता दें कि देश में लगातार ‘मेड इन इंडिया’ के तहत हथियारों को बनाने का काम चल रहा है। बीते कुछ वक्त में ऐसी कई डील हुई हैं, जो कि देश में ही हथियारों को बनाने पर काम करेंगी। भारतीय फौज दुनिया की सर्वोत्तम सेनाओं में से एक है। हाल ही में डीआरडीओ में बोलते हुए सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कहा था कि मौजूदा समय में भारतीय फौज को और ज्यादा पेशेवर बनाने की जरूरत है। आधुनिकीकरण के रास्ते पर चल कर हम अपनी फौज को और सक्षम बना सकते हैं। जनरल बिपिन रावत ने कहा कि डीआरडीओ की तरफ से फौज को महत्वपूर्ण मदद मिल रही है। लेकिन अनुसंधान में और तेजी लाने की जरूरत है ताकि व्यवसायिक तौर पर स्वदेशी हथियार प्रणाली का विकास हो सके। उन्होंने कहा कि रक्षा सौदों में विदेशी देशों पर निर्भरता कम करनी होगी।

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