मुख्य सचिव मारपीट मामला, पुलिस के पास हैं पक्के सबूत
दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव के साथ मारपीट व बदसलूकी के मामले में पुलिस अधिकारी का कहना है कि मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री से पूछताछ के बाद तेज-तर्रार इंस्पेक्टरों की टीम चार्जशीट तैयार करेगी। बड़े सरकारी अधिकारी के साथ घटना होने के कारण कोर्ट में चार्जशीट दायर करने से पहले उपराज्यपाल या गृहमंत्रालय तीस हजारी कोर्ट के मुख्य महानगर दंडाधिकारी को मुकदमा चलाने की जरूरी अनुमति देंगे। अभी अंशु प्रकाश की शिकायत पर ही पुलिस मुकदमा दर्ज कर जांच कर रही है।
गृहमंत्रालय या उपराज्यपाल से मुकदमा चलाने की अनुमति मिलने के बाद शिकायतकर्ता अंशु प्रकाश अगर भविष्य में बयान से पटलकर केस में समझौता करना चाहेंगे तो नहीं कर पाएंगे। मुख्य सचिव के साथ मारपीट हुई है, इसलिए गृहमंत्रालय व उपराज्यपाल से वह अनुमति न देने का अनुरोध नहीं करेंगे। अगर अनुरोध करते भी हैं तो माना नहीं जाएगा। यही वजह है कि मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री समेत विधायकों के लिए यह मुकदमा गले की फांस बन सकता है।
गवाही देने को तैयार मुख्य सचिव
पुलिस अधिकारी का कहना है कि आम आदमी पार्टी के सरकार में आने के बाद मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री के खिलाफ जितने भी मुकदमे हुए हैं, उनमें मुख्य सचिव के साथ मारपीट का मामला सबसे भारी है। मुख्य सचिव के साथ मुख्यमंत्री आवास पर मारपीट की यह घटना 19 फरवरी की है। मुख्य सचिव इस मामले में खुद पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के संपर्क में हैं। बताया जाता है कि उन्होंने पुलिस से कहा है कि वह मामले में गवाही देने के लिए भी तैयार हैं। पुलिस इसमें चार्जशीट दायर करने की तैयारी कर रही है।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक मामले में पर्याप्त सबूत हैं। इनमें दो धाराएं गैर जमानती हैं। कुछ साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में कहा था कि ऐसा अपराध, जिसमें सात साल या उससे नीचे सजा का प्रावधान है और पुलिस को लगता है कि आरोपी कहीं नहीं भाग सकता है तब उसकी गिरफ्तारी न की जाए। मुख्य सचिव मारपीट मामले में संभवतरू चार्जशीट दायर करने से पहले पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार नहीं भी कर सकती है। चार्जशीट दायर करने के बाद कोर्ट उस पर संज्ञान लेने के बाद अगर गिरफ्तार करने का निर्देश देगी तब गिरफ्तार करेगी।