भारत ने अंतरिक्ष पर एक साथ भेजे 31 उपग्रह
नई दिल्ली
इसरो ने शुक्रवार को श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से एक बार फिर इतिहास रच दिया। इसरो ने पीएसएलवी-सी 38 राकेट से निगरानी उपग्रह कार्टोसैट-2एस के साथ ही 30 नैनो उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे। इनमें 14 देशों के 29 नैनो उपग्रह भी शामिल हैं।
- श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शुक्रवार सुबह 9.29 मिनट पर उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया। इसके साथ ही इसरो की ओर से कुल अंतरिक्ष अभियानों की संख्या संख्या 90 हो गई है।
- धरती पर नजर रखने के लिए अंतरिक्ष में भेजे गए 712 किलोग्राम वजन के कार्टोसैट-2 श्रृंखला के इस उपग्रह के साथ 243 किलोग्राम वजन के 30 अन्य छोटे कृत्रिम उपग्रहों को भी अंतरिक्ष में भेजा गया। इन सभी उपग्रहों का वजन करीब 955 किलोग्राम रहा।
- इसरो ने इस अभियान में ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, चिली, चेक गणराज्य, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका समेत 14 देशों के 29 छोटे कृत्रिम उपग्रह भी अंतरिक्ष में भेजे।
- इनमें भारत का नैनो सैटेलाइट न्यूसैट भी है, जिसका वजन 15 किलोग्राम है। यह कृषि क्षेत्र में निगरानी और आपदा प्रबंधन में काम आएगा।
- सेना को इस सैटेलाइट की मदद से आतंकी शिविरों और बंकरों की निगरानी करने में आसानी होगी। कक्षा में स्थापित होने के बाद इन सभी कृत्रिम उपग्रहों को चालू कर दिया जाएगा।
- इन अंतरिक्ष यानों को स्पेस में घूम रहे मलबे से टकराने से रोकना इसरो के लिए बड़ी चुनौती है। यह मलबा खराब हो चुके कृत्रिम उपग्रहों, रॉकेट, अंतरिक्ष यान से अलग हुए टुकड़े आदि का होता है।
- अंतरिक्ष में 30 हजार किलोमीटर की गति से तैरता हुआ यह मलबा कृत्रिम उपग्रहों, अंतरिक्ष यानों और अंतरिक्ष केंद्रों के लिए बेहद खतरनाक साबित होते हैं। इनकी सुरक्षा के लिए इसरो को कई जरूरी कदम उठाने होते हैं। इसरो अंतरराष्ट्रीय इंटर एजेंसी स्पेस डेबरीज कोऑर्डिनेशन कमेटी का सदस्य है।
- यह कमेटी मानव निर्मित और प्राकृतिक अंतरिक्ष मलबे को कम करने की दिशा में काम करती है। यह कमेटी विभिन्न अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच मलबों से जुड़ी जानकारी का आदान-प्रदान करती है।