रिपोर्ट : दीक्षा अरोरा
अफगानिस्तान के हालात काफी नाजुक हो चुके है जिसकी वजह से अब कई देश चिंतित है। बता दें कि चीन और पकिस्तान दोनों देशो ने तालिबान की सरकार को मान्यता देने का फैसला कर लिया है। दरहसल यह बात किसी से छुपी नहीं है कि पाकिस्तान और चीन अपना फायदा देख रहें हैं, क्योंकि पाकिस्तान अपने आप में आतंकवाद का गढ़ है और दूसरी ओर तालिबान का आतंक हम देख ही चुके है।
कैसे होगा चीन को फायदा?
बता दें कि तालिबान सरकार को मान्यता देना चीन के लिए फायदेमंद होगा क्योंकि पता लगा है कि चीन अफगानिस्तान से अपना छोटा सा बॉर्डर साझा करता है। अब चीन अफगानिस्तान में निवेश करना चाहता है।

तालिबान ने चीन के साथ एक बैठक की थी जिसमे तालिबान ने चीन को आश्वाशन दिया था की अगर चीन तालिबान की सरकार को अफगानिस्तान में मान्यता देगा तो तालिबान उसे अफगानिस्तान में किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करने देगा।
पाकिस्तान को खतरा
तालिबान पाकिस्तान के लिए मुसीबत बन सकता है। तालिबान जिस तरह से मजबूत हुआ है उसे देखते हुए ऐसा लग रहा है कि यह संगठन पाकिस्तान के लिए भी मुसीबत खड़ी कर सकता है क्योंकि तालिबान अभी भी पाकिस्तान व अफगानिस्तान को विभाजित करने वाली सीमा रेखा डूरंड लाइन को स्वीकार नहीं करता। इस्लामाबाद हमेशा तालिबान को एक संभावित खतरे के तौर पर देखता है।
बता दें कि पाकिस्तान ने तालिबान को कई वर्षों तक शरण दी लेकिन जब अमेरिका ने दबाव बनाया तो पाकिस्तान ने तालिबान नेताओं को गिरफ्तार करने और उन्हें अमेरिकी जेल में डालने का काम किया।