मथुरा : मथुरा के नंदबाबा मंदिर परिसर में नमाज पढ़कर फैसल खान ने गिरफ्तारी के बाद भले ही ऐसा कर सांप्रदायिक सौहार्द का वातावरण बनाने की दुहाई वाला बयान दिया हो पर, नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी प्रदर्शनों से उसके जुड़ाव से उसका असली चेहरा सामने आ गया है. सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें फैसल खान जामिया यूनिवर्सिटी में सीएए कानून के विरोध में भाषणबाजी करता नजर आ रहा है.
वायरल वीडियो में फैसल बोल रहा है, ‘जामिया वालों को मैं बधाई देना चाहता हूं. एक मर्तबा गांधीजी ने जमना लाल बजाज को लिखा था कि जामिया को जिंदा रखने से बड़ा देश में कोई काम नहीं. ये वो वक्त था जब जामिया को चलाने के लिए एक-एक पैसे की मोहताजगी थी. आपने वो कर्ज उतारा है, आज इस लड़ाई में शामिल होकर.’ वीडियो इस साल 01 फरवरी की बताई जा रही है. इसमें फैसल मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहता है, ‘हुकूमत नशे में है.’
आपको बता दें, नंदगांव के विश्व प्रसिद्ध नंद बाबा मंदिर में 29 अक्टूबर की दोपहर हरी टोपी लगाकर दो युवक अपने तीन सहयोगियों के साथ पहुंचे. मंदिर में पहुंचने के बाद एक युवक ने अपना नाम फैसल खान बताया और अपने साथ आए साथियों का परिचय मोहम्मद चांद, नीलेश गुप्ता और आलोक रतन के रूप में कराया.
फैसल ने मंदिर के सेवायत पुजारी कान्हा गोस्वामी से दर्शन करने की बात कही और स्वयं को हिंदू मुस्लिम संस्कृति में विश्वास रखने वाला बताया और अपने मोबाइल से तमाम हिंदू संत-महंतों के साथ अपनी फोटो दिखाए. सेवायत ने उनकी बात का मान रखते हुए दर्शन करने की अनुमति दी और वह दर्शन करके मंदिर के गेट नंबर 2 की ओर चले गए.
कोविड-19 के चलते मंदिर में आजकल श्रद्धालुओं की भीड़ नहीं है. इसका फायदा उठाकर फैसल खान ने मंदिर परिसर में चांद मोहम्मद के साथ नमाज पढ़ी और उसके साथी नीलेश गुप्ता और आलोक ने उनके फोटो खींचे. इसके बाद तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कर दी, जो वायरल हो गईं.
नंद बाबा मंदिर के पुजारी का आरोप है कि आरोपियों ने धोखे से मंदिर में नमाज पढ़ी. यही नहीं पुजारी ने फैसल खान की इस हरकत को नमाज जिहाद बताया. मंदिर में नमाज पढ़ने के बाद शुद्धिकरण के लिए हवन यज हो चुका है. संत समाज की मांग है कि मंदिर में नमाज पढ़ने वालों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि, ये एक धर्म के लोगों को उकसाने की कोशिश है.
वहीं, कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं का कहना है कि इसमें कुछ गलत नहीं है. ऐसे में हिंदू धर्मगुरुओं से सवाल किया है कि मंदिर में अगर सांप्रदायिक सद्भाव को कोशिश के लिए नमाज पढ़ी गई तो ये लोग मस्जिद में भजन-कीर्तन और आरती कब कराएंगे?