प्रदेश में ब्यूरोक्रेसी हावी, अधिकारी ही उठा रहे पद का गलत फायदा | Nation One
प्रदेश में ब्यूरोक्रेसी कितनी हावी है ये तो प्रदेश की जनता जानती ही है, और बे लगाम अधिकारियों पर सरकार का कितना नियंत्रण है ये जग जाहिर है। वहीं ऐसे बे लगाम अधिकारियों की एक और मनमानी का मामला सूचना अधिकार के तहत सामने आया है, प्रदेश के 38 ऐसे आईपीएस अधिकारियों द्वारा पिछले कई सालों से अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक नही किया है, जबकि इन अधिकारियों को हर साल ही अपनी संपत्ति का व्योरा सरकार की वेबसाइट पर सार्वजनिक करना आवश्यक है।
कौन है ऐसे अधिकारी और क्यों इनपर नही कसी जा रही नकेल देखिये ?
प्रदेश की व्यवस्थाओं को संचालित करने में ब्यूरोक्रेसी कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है ये सभी जानते है, यहीं नही सरकार की भी नीति निर्धारण में आइएएस अधिकारियों का अहम योगदान रहता है। ये वहीं नीति नियंतक होते है जो नियमो से कार्य करते है और करवाते भी है। सरकारी फाइलों में नियमानुसार कार्य करने की हिदायत भी देते है, लेकिन मजेदार बात है कि जब खुद नियमो के अनुसार कार्य करना हो तो ये अधिकारी नियमो को ठेंगे पर रखते है।
जी हां ऐसे प्रदेश के कई आईएएस अधिकारी है जो मनमानी करने से नही चूकते, और खुद ही नियमो को ताक पर रख कर व्यवस्थाओं का मजाक बनाते हैं। प्रदेश के ऐसे बहुत से अधिकारी है जो अपनी संपत्ति का व्योरा देने से झिझक रहे हैं। कुछ अधिकारियों ने तो हद ही कि है उन्होंने तो करीब छ सालों से संपत्ति का व्योत सार्वजनिक नही किया है।
सूचना अधिकार से इस बात का खुलासा करते हुए एडवोकेट नजीमुद्दीन ने बताया कि ये एक जरुरी प्रक्रिया है जो सभी को संपत्ति का व्योरा देना आवश्यक है, यदि कोई नही करता है तो वो जांच के दायरे में आता है।
जिस सरकार में भ्रष्टाचार मुक्ति की बात की जाती हो और जीरो टॉलरेंस के गुब्बारे फुलाये जाते हो उस सरकार में बे लगाम अधिकारी ही जब अपनी संपत्तियां छुपा रहे हो तो जाहिर है कि सरकार में जीरो टॉलरेंस नही है, वहीं नियमो के अनुसार सरकार की वेब साइट पर अधिकारियों को हर साल जनवरी में ये ब्यौरा अपलोर्ड करना होता है, लेकिन बे लगाम अधिकारियों पर आखिर कार्यवाही करे कौन, क्योंकि सरकार का तो नियंत्रण ही नही है।
आईएएस अधिकारियों द्वारा संपत्ति का व्योत न देना जहां नियमो की अनदेखी है, वहीं एक बड़ी लापरवाही भी। लेकिन जोरो टॉलरेंस की सरकार में जब अधिकारी ही अपनी संपत्तियां छुपा रहे हो तो फिर के दावा करना कि जीरो टॉलरेंस है हवाई बातें ही लगती है। लेकिन इतने सालों से अपनी संपत्ति जाहिर न करने वाले अधिकारियों पर आखिर इतने लंबे समय से कोई कार्यवाही क्यों नही हुई और क्यों विभाग अपनी आंखे मुंदे बैठा है, ये सरकार की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े करता है।
काशीपुर से अज़हर मलिक की रिपोर्ट