बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी उठाये सवाल, कहा-बिलों से सहमत नहीं | Nation One
नई दिल्लीः किसानों से जुड़े बिल लोकसभा में पास होने के बाद से इन पर राजनीति तेज हो गई है. अब इस मामले में बहुजन समाज पार्टी ने भी अपना रुख स्पष्ट किया है. पार्टी ने दोनों बिलों के बिना चर्चा पास किए जाने को लेकर असहमति जताई है.
बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने दोनों बिलों को लेकर ट्वीट किया. कहा, ‘संसद में किसानों से जुड़े दो बिल, उनकी सभी शंकाओं को दूर किये बिना ही, कल पास कर दिये गये हैं. उससे बहुजन समाज पार्टी कतई भी सहमत नहीं है. पूरे देश का किसान क्या चाहता है? इस ओर केन्द्र सरकार जरूर ध्यान दे तो यह बेहतर होगा.’ आपको बता दें कि, किसानों से जुड़े दो बिल गुरुवार को लोकसभा में ध्वनिमत से पारित कर दिए गए. इसके बाद से विपक्ष हमलावर है. पूरे देश में इन बिलों का विरोध हो रहा है.
हरिसिमरत का इस्तीफा
इधर, इन दो बिलों को लेकर भाजपा सरकार में केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा दे दिया. उन्होंने इन बिलों को किसान विरोधी बताया. कहा कि वह किसानों के संघर्ष में उनके साथ खड़ी हैं. वहीं, बिलों को लेकर विपक्ष पहले से ही हमलावर है. बता दें कि हरसिमरत कौर बादल भाजपा की सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल की नेता हैं. अकाली दल एनडीए का हिस्सा है.
विरोध पर प्रधानमंत्री का जवाब
वहीं, बिल का विरोध करने वालों को जवाब देने के लिए ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगे आए हैं. उन्होंने ट्वीट किया, ” किसानों को भ्रमित करने में बहुत सारी शक्तियां लगी हुई हैं. मैं अपने किसान भाइयों और बहनों को आश्वस्त करता हूं कि MSP और सरकारी खरीद की व्यवस्था बनी रहेगी. ये विधेयक वास्तव में किसानों को कई और विकल्प प्रदान कर उन्हें सही मायने में सशक्त करने वाले हैं.”
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कृषि विधेयक पर संजय राउत ने कहा, एनडीए को कृषि बिल पर चर्चा करनी चाहिए थी. अगर सभी दलों को छोड़ भी दें, तो कृषि सेक्टर से जुड़ा महत्वपूर्ण फैसला लेते वक्त भी रणनीतिक चर्चा करनी चाहिए थी. इस बिल पर कोई चर्चा ही नहीं हुई. सभी लोग कह रहे हैं कि इससे किसानों को नुकसान होगा.
हरसिमरत के मामले पर एक न्यूज चैनल के सवाल का जवाब देते हुए संजय राउत ने कहा, एनडीए में उसी वक्त फूट पड़ गई थी, जब शिवसेना बाहर गई थी. बाहर जाने का मतलब कि हमें मजबूर किया गया था. शिवसेना और अकाली दल ही एनडीए में सबसे पुराने और निष्ठावान दल थे. हम गठबंधन के सबसे अंतिम और महत्वपूर्ण स्तंभ थे.