Mohan Bhagwat : वर्ण और जाति प्रथा पर RSS प्रमुख का बड़ा बयान, कही ये बात | Nation One

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Mohan Bhagwat : RSS प्रमुख मोहन भागवत ने लोगों से जाति प्रथा को पूरी तरह से त्याग देने का आह्वान किया है। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि ‘वर्ण’ और ‘जाति’ की अवधारणाओं को भूल जाना चाहिए। 

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में एक पुस्तक विमोचन समारोह में बोलते हुए यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि समाज में भेदभाव करने वाली हर चीज को खत्म करने की जरूरत है।

Mohan Bhagwat : जाति व्यवस्था की अब कोई प्रासंगिकता नहीं

उन्होंने कहा कि जाति व्यवस्था की अब कोई प्रासंगिकता नहीं है। “वज्रसुची तुंक” पुस्तक का हवाला देते हुए मोहन भागवत ने कहा कि सामाजिक समानता भारतीय परंपरा का एक हिस्सा थी, लेकिन इसे भुला दिया गया।

इसके हानिकारक परिणाम हुए। मोहन भागवत ने कहा कि वर्ण और जाति व्यवस्था में मूल रूप से भेदभाव नहीं था। अगर आज किसी ने इन संस्थानों के बारे में पूछा तो जवाब होना चाहिए कि यह अतीत है, इसे भूल जाओ।

पिछली पीढ़ियों ने कई गलतियां की हैं, हमें इसे स्वीकार करने में परेशानी नहीं होनी चाहिए। अगर आपको लगता है कि हमारे पूर्वजों ने गलतियां की हैं तो वे हीन हो जाएंगे, ऐसा नहीं होगा। सभी के पूर्वजों ने गलतियां की हैं।

Mohan Bhagwat : सभी के लिए बने जनसंख्या नीति 

गौरतलब है कि मोहन भागवत ने विजयादशमी समारोह में कहा था कि हिंदू-मुस्लिम सभी के लिए जनसंख्या नीति बनाई जानी चाहिए। यह सही है कि जनसंख्या जितनी अधिक उतना बोझ ज्यादा।

जनसंख्या का ठीक से उपयोग किया तो वह साधन बनता है। हमको भी विचार करना होगा कि हमारा देश 50 वर्षों के बाद कितने लोगों को खिला और झेल सकता है।

Mohan Bhagwat : जनसंख्या की एक समग्र नीति

संघ प्रमुख ने कहा कि जनसंख्या की एक समग्र नीति बने और वह सब पर समान रूप से लागू होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बिना संसाधनों के निर्माण बढ़ता है तो वह बोझ बन जाता है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है।

जनसंख्या को संपत्ति मामना एक दृष्टिकोण है लेकिन हमें दोनों पहलुओं को समझना होगा। यह आज की जरूरत है सभी के लिए एक जनसंख्या नीति बने और पालन किया जाए। 

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