यूपी पुलिस को आम लोगों के सुरक्षा के लिए रखा गया है पर यूपी पुलिस लगातार बेलागाम हो रही है। वहीं ताजा उदाहरण बागपत में देखने को मिला है जहां पर थानेदार बेलगाम हो गए हैं। थानों में समय पर न तो मुकदमे दर्ज कर रहे और न ही अफसरों को बड़ी घटनाओं की जानकारी दे रहे हैं।
ताजा उदाहरण सामने जब आया,जब रमाला चीनी मिल परिसर में हुए बवाल को पुलिस पचाने की तैयारी में जुटी हुई है। यही नहीं अफसरों तक को तीन दिन घटना की जानकारी से दूर ही रखा। चीनी मिल अधिकारियों की तहरीर पर मुकदमा दर्ज नहीं किया बल्कि फायरिंग करने वाले आरोपित की तमंचे के साथ फर्जी गिरफ्तारी भी दर्शा दी। अफसरों के मामला संज्ञान में आने के बाद पूरे मामले की जांच बैठा दी गई है।
मामला कब सुर्खियों में आया
रात लगभग साढ़े नौ बजे कुछ किसान नशे की हालत धुत होकर बागपत के रमाला सहकारी चीनी मिल में गन्ना तुलवाने पहुंचे और गन्ना यार्ड में लाइन तोड़कर यार्ड सुपरवाइजर के पास पहुंचे और अपना गन्ना तौल कराने के लिए पहले टोकन काटने की जिद पर अड़ गए। इसी बात पर सुपरवाइजर और किसानों के बीच विवाद हो गया।
मामला बढ़ता देखकर एक किसान ने फोन कर अपने गांव से कुछ लोगों को बुला लिया। आरोपियों ने आते ही अवैध असलाह से चीनी मिल में ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। सुपरवाइजर और दूसरे किसानों ने किसी तरह अपनी जान बचाई। आरोपी असलाह लहराते हुए फरार हो गए।
उधर, फायरिंग की यह पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। इस घटना के बाद चीनी मिल में दहशत का माहौल बना हुआ है। इस पूरी घटना की तहरीर रमाला थाने में 10 मार्च की रात नौ बजे दे दी गई है, लेकिन 11 मार्च की शाम तक मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है।
पुलिस पर लग रहे बचाने के आरोप
पुलिस ने रात के समय ही फायरिंग करने के आरोपी प्रियवृत निवासी एलम को हिरासत में ले लिया था, लेकिन इस घटना की जानकारी पुलिस के आला अफसरों को नहीं दी और न ही मुख्य गन्ना अधिकारी की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया, बल्कि रमाला थाना पुलिस ने मुख्य गन्ना अधिकारी की तहरीर आने से पहले ही अपनी ओर से आरोपी युवक से तमंचा बरामद कर आर्म्स एक्ट में मुकदमा दर्ज कर उसकी गिरफ्तारी दर्शा दी और वो भी चीनी मिल के बाहर से, जबकि पुलिस ने उसे चीनी मिल के अंदर से ही हिरासत में ले लिया था।
इस घटना को रमाला पुलिस ने अफसरों से भी छिपाए रखा। अब मामला संज्ञान में आने और मुख्य गन्ना अधिकारी की तहरीर थाने में पहुंचने और उसके आधार पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज न करने के मामले को गंभीरता से लेते हुए पूरे मामले में जांच बैठा दी गई है।