विक्रम कोठारी की कंपनी रोटोमैक के बुरे दिन शुरू हो गए हैं। 3695 करोड़ रुपए के कर्ज के समाधान के सभी रास्ते बंद होने के बाद बैंकों ने सख्त कदम उठाते हुए कंपनी को 90 दिन का अतिरिक्त समय देने से इनकार कर दिया है। साथ ही रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड और रोटोमैक एक्सपोर्ट की नीलामी का रास्ता साफ हो गया है। दोनों कंपनियों के रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल अनिल गोयल ने बैंकरों के इस कदम की पुष्टि की है।
वित्तीय संकट या अन्य विवादों में फंसी कंपनियों का मामला जब नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में जाता है तो समाधान के लिए 180 दिन का समय मिलता है। इस अवधि में रास्ता न निकला तो इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के प्रावधानों के मुताबिक शुरुआती समयसीमा खत्म होने के बाद भी रिवाइवल प्लान के लिए आम तौर पर 90 दिन और दे दिए जाते हैं। इसे ‘डेट रीकास्ट प्रोग्राम’ कहा जाता है लेकिन कोठारी के मामले में बैंकों ने पहली बार ये समयसीमा बढ़ाने से इनकार कर दिया। बैंकों ने रोटोमैक ग्रुप की दो सबसे बड़ी कंपनियों को डेट रीकास्ट प्रोग्राम में 90 दिनों का एक्सटेंशन देने से मना कर दिया।
19 मार्च के बाद शुरू होगी प्रक्रिया
19 मार्च को विक्रम कोठारी मामले में 180 दिनों की शुरुआती समयसीमा खत्म हो जाएगी। अब बैंक रोटोमैक एक्सपोर्ट और रोटोमैक ग्लोबल की नीलामी करेंगे। रोटोमैक की दोनों कंपनियों के रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल अनिल गोयल ने बैंकरों ने कहा कि कर्जदाताओं ने समयसीमा बढ़ाने की मंजूरी नहीं दी। शुक्रवार को समयसीमा बढ़ाने के मुद्दे पर मतदान के लिए सभी कंसोर्टियम बैंक एकत्र हुए थे। सभी ने एकमत से 90 दिन की अतिरिक्त समयसीमा बढ़ाने से इनकार कर दिया। नीलामी की दहलीज पर खड़ी रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के तहत रोटोमैक पेन बनाए जाते हैं।
कोठारी इंटरप्राइज के अंतर्गत रोटोमैक ग्लोबल 1992 में इनकॉरपोरेट हुई थी। पेन बनाने के अलावा रोटोमैक ग्रुप इंटरनेशनल मर्चेंट ट्रेडिंग से भी जुड़ा है। यानी कंपनी एक देश से दूसरे देश में सामान का आयात-निर्यात करती है। रोटोमैक ग्रुप की कंपनियों ने इसी ट्रेडिंग बिजनेस के लिए ज्यादा लोन लिया था।