देहरादून। न्यूज लाइव ब्यूरो
देहरादून शहर के 23 खाताधारकों के खातों से लगभग साढ़े दस लाख रुपये निकाले जाने के मामलों से साफ हो गया है कि साइबर सुरक्षा के उपाय अपनाने ही होंगे। इसके लिए साइबर एक्सपर्ट और पुलिस के अभियानों और अपीलों पर ध्यान देना जरूरी है। साइबर सिक्योरिटी को लेकर लंबे समय से काम कर रहे साइबर एवं फोरेंसिक एक्सपर्ट अंकुर चंद्रकांत से http://nationone.tv ने उन तरीकों पर बात की, जिनसे बैंक खातों पर एटीएम के जरिये होने वाले साइबर अटैक से बचा जा सकता है। चंद्रकांत ने साइबर क्राइम के बड़ी संख्या में मामलों का खुलासा करने में उत्तराखंड पुलिस को सहयोग दिया है।

उनका कहना है कि अक्सर देखा जाता है कि पुलिस और साइबर जानकारों की अपील और सूचनाओं को लोग नजर अंदाज कर देते हैं, जिनकी वजह से उनको अपनी गाढ़ी कमाई खोनी पड़ती है। एटीएम कार्ड इस्तेमाल करने के लिए जरूरी सावधानियां बरती जानी चाहिए। 23 खातों से जयपुर में रकम निकाले जाने की घटना की पड़ताल में पुलिस को सहयोग कर रहे हैं। यह मामला एटीएम कार्डों की क्लोनिंग का है। यानि साइबर क्रिमिनलों ने देहरादून के उन एटीएम पर स्कीमिंग की थी, जहां से इन पीड़ित खाताधारकों ने रकम निकाली है।
- एटीएम पर डिवाइस लगाकर स्कीमिंग किए कार्ड
- स्कीमिंग करके कार्ड की पूरी डिटेल लेकर बनाए क्लोन
अंकुर बताते हैं कि बिना स्कीमर के स्कीमिंग नहीं की जा सकती और बिना स्कीमिंग के किसी एटीएम कार्ड का क्लोन तैयार नहीं किया जा सकता। दिल्ली में ऐसे कई अड्डे हैं, जहां अवैध रूप से स्कीमर बिकते हैं। देहरादून के खाताधारकों के साथ इतनी बड़ी धोखाधड़ी करने वाले अपराधियों ने शहर के कुछ एटीएम पर स्कीमर फिट किए होंगे। एटीएम में इनसर्ट किए जाने से कार्ड की स्कीमिंग होकर पूरी डिटेल साइबर क्रिमिनल के हवाले हो गई। इसी डिटेल से अपराधियों ने संबंधित खाताधारक के कार्ड का क्लोन बनाकर जयपुर में रकम निकाल ली। बताते हैं कि जांच में उन एटीएम का भी पता चल गया है, जहां अपराधियों ने स्कीमर लगाए थे।
- मैग्नेट टेप की करते हैं स्कीमिंग
साइबर एक्सपर्ट अंकुर बताते हैं कि एटीएम कार्ड पर मैग्नेट टेप लगी होती है, जिसमें खाताधारक और उनके एकाउंट की पूरी डिटेल की कोडिंग होती है। इसी कोडिंग को हासिल करने के लिए साइबर अपराधी एटीएम पर स्कीमिंग करने के लिए स्कीमर लगाते हैं। ऐसा कई मामलों में सामने आता रहा है।
- एटीएम कार्ड इस्तेमाल करने वाले क्या करें
साइबर एक्सपर्ट अंकुर चंद्रकांत कहते हैं कि अगर आपने साइबर अटैक से खुद की गाढ़ी कमाई को बचाना है तो कुछ बातों पर अवश्य ध्यान देना होगा। पुलिस और साइबर जानकारों की अपील को नजर अंदाज न करें। आपको इन बातों पर ध्यान देना चाहिए।
- उसी एटीएम का इस्तेमाल करें, जहां गार्ड की तैनाती हो।
- एटीएम का सीसीटीवी कैमरा बंद नहीं होना चाहिए।
- चेक कीजिए, कहीं मशीन के कीबोर्ड के ऊपर कोई माइक्रो कैमरा या अन्य डिवाइस तो नहीं लगी है।
- मशीन में कार्ड इनसर्ट करने वाला पैनल ढीला तो नहीं है या कुछ अलग तो नजर नहीं आ रहा है या उस पर कोई टैप तो नहीं चिपका है। या मशीन का पैनल हिल तो नहीं रहा है। अन्य दिनों की अपेक्षा मशीन में कोई बदलाव तो नहीं दिख रहा है। उस पैनल को भी चेक करिए जिससे आपको एटीएम यूज करने के दौरान रकम हासिल होती है। यह सब आपको इसलिए भी चेक करना होगा, क्योंकि यह आपकी मेहनत की कमाई को सुरक्षित रखने का सवाल है।
- जहां तक संभव हो, उसी एटीएम का इस्तेमाल करें, जिस पर अक्सर ट्रांजेक्शन करते हों। अगर बाहर कहीं एटीएम इस्तेमाल करना पड़ रहा है तो ऊपर दी गईं सावधानियों पर ध्यान दीजिेए।
- अपनी नेट बैंकिंग डिेटेल किसी से शेयर न करें।
- पेट्रोल भरवाने या किसी मॉल या कहीं भी, एटीएम कार्ड स्वैप करना हो, तो स्वयं कीजिए औऱ पिन भी छिपाकर स्वयं डालिए। साइबर अपराधी इन स्थानों पर भी मिलकर अपना खेल कर सकते हैं। अपना एटीएम कार्ड किसी दूसरे को मत दीजिए।
एटीएम पर स्कीमिंग के लिए बैंक भी दोषी
जिन एटीएम की स्कीमिंग करके खाताधारकों के कार्डों का क्लोन बनाया गया है, उसके लिए साइबर अपराधी के साथ बैंक प्रबंधन भी दोषी है। साइबर एक्सपर्ट अंकुर चंद्रकांत बताते हैं कि अपराधी को एटीएम मे ंस्कीमिंग करने में कम से कम दस मिनट का समय तो लगा होगा। क्या यह सब बैंक के सीसीटीवी कैमरे में कैद नहीं हुआ होगा। अगर वहां गार्ड तैनात था तो उसने अपराधी को टोका क्यों नहीं। बैंक ने सीसीटीवी कैमरे को चेक किया था तो उसने इस घटना को संज्ञान में लेकर एटीएम को चेक क्योंं नहीं किया। अगर एटीएम में गार्ड तैनात नहीं था तो बैंक प्रबंधन का भी बड़ा दोष है।