मथुरा: भारत के इतिहास में आज भी कई एेसे चमत्कारी स्थान है जो इतिहास के पन्नों में खुद ही अपनी कहानी को बयां करती है। इतिहास के पन्नों में अपनी कहानी को बया करते हुए इन धार्मिक जगहों में छुपे हुए कई राज आज भी लोगों को भगवान के अस्तित्व को मानने पर मजबूर कर देते है। आज भी कई ऐसे चमत्कारी स्थान है जहां साक्षात भगवान का वास होता है। और इसी चमत्कारों को देखने के लिए भारत में देश से ही नही बल्कि विदेशों से भी पर्यटक आते है।
ऐसे ही एक स्थान के बारे में हम आपको बताने जा रहे है,जहां आज भी भगवान श्रीकृष्ण की रासलीलाएं होती है। यह पवित्र स्थान धार्मिक नगर वृंदावन में मौजूद निधिवन है। आपको भी यह जानकर आश्चर्य होगा कि विदेशों से भी लोग इस स्थान की ओर खिंचे चले आते है।
मान्यता है कि निधिवन में आज भी हर रात भगवान श्रीकृष्ण गोपियों के संग रास रचाते है। यही कारण है की सुबह खुलने वाले निधिवन को संध्या आरती के पश्चात बंद कर दिया जाता है। उसके बाद वहां कोई नहीं रहता है यहां तक कि निधिवन में दिन में रहने वाले पशु-पक्षी भी संध्या होते ही निधिवन को छोड़कर चले जाते है। निधिवन के अंदर रंग महल है यहां के लिए मान्यता है कि रोज रात यहां पर भगवान श्रीकृष्ण साक्षात आते है और राधा संग रास रचाते है।
इस रंग महल में हर रोज राधा और कन्हैया के लिए चंदन की पलंग को शाम सात बजे के पहले ही सजा दिया जाता है। पलंग के बगल में एक लोटा पानी, राधाजी के श्रृंगार का सामान और दातुन संग पान रख दिया जाता है। और सुबह होते ही रंग महल का जब पट खुलता है तो बिस्तर अस्त-व्यस्त, लोटे का पानी खाली, दातुन कुची हुई और पान खाया हुआ मिलता है। रंगमहल में भक्त केवल श्रृंगार का सामान ही चढ़ाते है और प्रसाद स्वरुप उन्हें भी श्रृंगार का सामान मिलता है।
वैसे तो शाम होते ही निधिवन बंद हो जाता है और सब लोग यहां से चले जाते है। लेकिन फिर भी यदि कोई छुपकर रासलीला देखने की कोशिश करता है तो वह अंधा, गूंगा, बहरा, पागल और उन्मादी हो जाता है ताकि वह इस रासलीला के बारे में किसी को बता ना सके। इसी कारण रात्रि 8 बजे के बाद पशु-पक्षी, परिसर में दिनभर दिखाई देने वाले बन्दर, भक्त, पुजारी इत्यादि सभी यहां से चले जाते हैं और परिसर के मुख्यद्वार पर ताला लगा दिया जाता है। स्थानीय लोगों के अनुसार यहां जो भी रात को रुक जाता है वह सांसारिक बन्धन से मुक्त हो जाता है।