वायु प्रदूषण से मौतों में चीन के बाद भारत दूसरे नंबर पर
नई दिल्ली
चीन में वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा मौते हो रही हैं और इसके बाद दूसरा नंबर भारत का है। यहां प्रदूषण चीन से भी ज्यादा खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है।
वायु प्रदूषण से दुनिया में 42 लाख लोग असमय मौत का शिकार हो रहे हैं। इनमें अकेले भारत में दस लाख से ज्यादा मृत्यु शामिल हैं। भारत में वायु प्रदूषण में तेजी से वृद्धि हो रही है। एक स्टडी में पाया गया कि वायु प्रदूषण से भारत में 33 फीसदी मौतें बढ़ी हैं। भारत में 1990 के बाद ओजोन गैस से हर साल औसतन 20 फीसदी मौतें बढ़ रही हैं। वहीं चीन में यह दर मात्र आधा प्रतिशत है। भारत में ओजोन से होने वाली असामयिक मौतें बांग्लादेश से 13 और पाकिस्तान से 21 गुना ज्यादा है।
रिपोर्ट के अनुसार 2015 में चीन में प्रदूषण से 11.08 लाख, भारत में 10.90 लाख, यूरोप में 2.57, रूस में 1.37 लाख, पाकिस्तान में 1.35 और अमेरिका में 88 हजार जानें गईं। एक वजह और है, विश्व की करीब 92 फीसदी आबादी जहां रहती है वहां स्वच्छ हवा उपलब्ध नहीं है।
चिकित्सा क्षेत्र की पत्रिका द लांसेंट की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में हर मिनट दो लोगों की मौत होती है। विश्व के कई सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर भारत में हैं। दिल्ली और बिहार की राजधानी पटना दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में शामिल है। विश्व बैंक के एक अध्ययन के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण घरेलू बाजार को श्रम में कमी के कारण आय में 38 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के मुताबिक प्रदूषण का सबसे बड़ा कारक पार्टिकुलेट मैटर 2.5 है। यह बहुत ही छोटा कण होता है, जिसमें कार्बन मोनोक्साइड, कार्बन डाईऑक्साइड तत्व होते हैं। इसके कारण यह हवा को प्रदूषित करते हैं। यह विवाद की बात हो सकती है कि सरकार के आंकड़े कुछ कहते हैं तथा संगठनों के आंकड़े कुछ और कह रहे हैं, परंतु दोनों आकड़ों में एक बात समान है कि हवा में जहर घुल रहा है। सवाल यह है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण क्यों बढ़ता जा रहा है और इसको रोकने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है ?