
मुलायम परिवार के बाद अब इनेलो में वर्चस्व की जंग…
जगजीत शर्मा(स्थानीय संपादक हरियाणा)
हरियाणा: 7 अक्टूबर को हरियाणा के गोहाना में जननायक ताऊ देवी लाल के सम्मान मे हुई रैली में चौटाला परिवार की आंतरिक कलह आखिरकार खुल कर सामने आ ही गई। चाचा,भतीजे के मनमुटाव की खबरे इससे पहले भी छन कर बाहर आ रही थी,पर सार्वजनिक मंच पर इस प्रकार का माहौल इस परिवार में पहले देखने को नही मिला था।
सत्ता के लिए अपने से संघर्ष और बगावत का इतिहास बहुत पुराना रहा है। और वक्त-वक्त पर इतिहास अपने अाप दोहराता रहा है। इतिहास की गवा रहा है कि तख्तो-ताज के लिए अपनो ने अपनों का ही खून बहाया है। मुगलों के समय औरंगजैब ने सिहांसन के लिए अपने पिता को बंदी बनाकर करावास में भिजवा दिया था और इतिहास का तो यह भी कहना है कि सत्ता के संघर्ष के लिए अपने भाई दारा शिकोह सिर काट कर शाहजंहा को भिजवा दिया था। सता के लिए अकबर और जहांगीर के संघर्ष और बगावत की कहानी हमने सुनी है। कर्नाटक के सीएम कुमार स्वामी ने सत्ता के लिए अपने पिता एच डी देवगौड़े से बगावत कर दी थी।
तमिलनांडू के पूर्व सीएम करूणानिधी के देहांत के बाद उनके पुत्र स्टालिन और अलामिगर में जूतम-पैजार जारी है। अभी हालांहि में मुलायम सिहं यादव के परिवार का हाईवोल्टेज ड्रामा हम सब ने देखा। सत्ता के संघर्ष में भाई और पुत्र के बीच फंसे मुलायम सिंह का बेबस चहरा बरबस ही आंखों से सामने घूमने लगता है। अब लगता है कि हरियाणा के एक मात्र क्षेत्रिय राजनेतिक दल भी ऐसे ही पारिवारिक जन के लिए ही तैयार हो चुके है, जिसकी बनेगी दिखी 7 अक्टूबर हो हुई गोहाना रैली मैें जहां अपने पुरे जीवनकाल में इनैलो सुप्रेमों पहली बार बेबस और लाचार नजर आए। इससे पहले ओमप्रकाश चौटाला सपा को संबोधित करते थे तो कहा जाता था कि सुई के गिरने के आवाज भी सुनी जा सकती थी। यह पहली बार हुआ है कि अपने पुरे संबोधन के दौरान पूर्व सीएम चौटाला बार-बार शांति की अपील करते रहे जिसका श्रोताओं पर कोई असर देखने को नही मिला।
रैली में लगातार दुष्यंत चौटाला के समर्थन में नारेबाजी होती रही। अभय चौटाला के चेहरे पर गुस्से और झल्लाट के संकेत साफ तौर पर देखे जा सकते थेष इनेलो के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा के संबोधन के दौरान हुई जबरदस्त हुटिंग से अभय चौटाला अपनी भावनाओं पर काबू नही रख पाये और अशोक अरोड़ा से माइक लेकर हुटिंग वालों पर भड़क उठे,वेसे भी अभय चौटाल को उन नेताओं में नही माना जाता है जिन्हे अपनी भावनाओं को छुपाने या काबू करने का हुनर आता हो। इससे पहले भी कई बार अपने गुस्से के चलते वे विरोधियों के निशाने पर आते रहे है। कुल मिलाकर अब यह कहना कोई अतिशोयोक्ति नही होगी कि इनेैलौ में सबकुछ ठीक नही चल रहा। अगर आगे भी आगे भी ऐसे ही चलता रहा तो यह कहने में कोई गुरेज नही होगा कि पार्टी टूट के कगार पर पहुंच जाएगी। 2019 के चुनावों में सत्ता में वापसी का सपना सजोए बैठी इनैलौ के हाथ से रेत की तरह फिसल जाएगी।