मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मंत्री परिषद की बैठक, लॉकडाउन को लेकर केंद्र सरकार की गाइड लाइन पर चर्चा | Nation One

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मंत्री परिषद की बैठक आयोजित की गई। बैठक में लॉक डाउन को लेकर केंद्र सरकार की गाइड लाइन पर चर्चा की गई। बैठक में सभी कैबिनेट मंत्री राज्य मंत्री और शासन के आला अधिकारी मौजूद रहे। कैबिनेट मंत्री और शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने बैठक के बारे में जानकारी दी।

मंत्री परिषद की बैठक के बाद कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने यह साफ कर दिया है कि 20 अप्रैल के बाद किसी भी पहाड़ी जनपद को कोई अतिरिक्त छूट मिलने नहीं जा रही है किसी भी जनपद में लॉक डाउन नहीं खोला जा रहा है 3 मई तक पूरे प्रदेश में लोक डाउन प्रभावी रहेगा। कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने कहा है कि सभी तरह के धार्मिक स्थल लॉक डाउन की अवधि तक जनता के लिए प्रतिबंधित रहेंगे। वहीं चार धाम कपाट खुलने पर केवल प्रशासन और अनिवार्य लोग ही मौजूद रहेंगे और सोशल डिस्टेंसिंग पूरी तरह से फॉलो की जाएगी।

राज्य सरकार ने प्रदेश में कल से सचिवालय और विधानसभा खोलने का निर्णय लिया है सबसे पहले विभागों को सैनिटाइज किया जाएगा उसके बाद सचिवालय विधानसभा में सभी काम शुरू होंगे। वहीं सरकार ने यह भी तय किया है कि प्रदेश में औद्योगिक गतिविधियां शुरू हो पाएंगी इसके लिए जिला अधिकारी से अनुमति लेनी होगी और केंद्र की गाइडलाइन को फॉलो करना होगा। प्रदेश में जारी कंस्ट्रक्शन वर्क भी शुरू हो सकता है लेकिन उसमे मजदूर बाहर से नहीं आएंगे।

मंत्री परिषद की बैठक में केदारनाथ धाम और बद्रीनाथ धाम के कपाट को लेकर भी विचार किया गया। केदारनाथ धाम के रावल भीमाशंकर लिंगम इन दोनों नांदेड़ महाराष्ट्र में है। वही बद्रीनाथ धाम के रावल नंबूदरी केरल में मौजूद है। व्यवस्थाओं के अनुसार कपाट बंद होने के दौरान दोनों ही धाम के रावल धर्म के प्रचार के लिए देशभर में भ्रमण करते हैं। ऐसे में इन लोगों का केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम पहुंचना फिलहाल मुश्किल नजर आ रहा है।

हालांकि राज्य सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से सड़क मार्ग से इन्हें भेजने पर चर्चा की है। लेकिन उत्तराखंड पहुंचने के बाद नियमों के तहत इन्हें 14 दिन के लिए क्वॉरेंटाइन किया जाएगा। ऐसे में कपाट खोलने की प्रक्रिया में यह लोग कैसे मौजूद रह सकते हैं। वहीं कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने 400 साल के इतिहास में इसके लिए व्यवस्था होने का भी जिक्र किया है इस मामले में मंदिर समिति और तीर्थ पुरोहितों से चर्चा के बाद सरकार फैसला लेगी।