पौराणिक कथाओं में सुनने को मिलता है कि देवताओं के पास एक कामधेनु नामक गाय हुआ करती थी। जिससे जो मांगो वह मिल जाता था। जो इस समय कलयुग में संभव नहीं है लेकिन कलयुग में भी आम गायों से हटकर आज हम एक ऐसी गाय की चर्चा करेंगे जो कहीं ना कहीं कामधेनु की श्रेणी में ही दिखाई पड़ती है।
जी हां हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले की जहां संग्रामपुर ब्लॉक एवं थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम ठेंगहा (शुकुलपुर) में रहने वाले अत्यंत साधारण ब्राम्हण परिवार के घर आज से 9 साल पहले एक गाय ने रक्षाबंधन के दिन छोटी सी बछिया को जन्म दिया था।
रक्षाबंधन के दिन इस बछिया के जन्म लेने पर घर वालों ने खुशी जाहिर करते हुए घर के लोगों ने इस बछिया का नाम राखी रख दिया। उसके बाद समय बीतता गया धीरे-धीरे राखी (बछिया)बड़ी होती गई। जब वह साढे़ 4 साल की थी तब धीरे धीरे उसके थन बड़े होने लगे। तब घरवालों ने सोचा कि शायद यह पेट से है। इसलिए ऐसा परिवर्तन दिखाई पड़ रहा है। लेकिन कुछ ही दिनों में जब वह बैठती थी तब उसके थन से दूध निकलने लगता था।
घरवालों ने उत्सुकता बस इसकी जानकारी पशु चिकित्सा अधिकारी को दी। जिस पर पशु चिकित्सा अधिकारी ने मौके पर पहुंचकर गाय का चेकअप किया तो पता चला की गाय के गर्भ होने जैसी कोई बात नहीं है। तब घर वालों ने उसके थन से दूध निकलने की बात बताई।
डॉक्टर साहब ने कहा कि जब दूध निकल रहा है तब आप लोग इसका दोनों मीटिंग दूध निकालिए इससे कोई समस्या नहीं है। घर वालों ने डॉक्टर के बताने के उपरांत डरते हुए गाय से दूध निकालना शुरू कर दिया। शुरुआती दौर में यह गाय दोनों मीटिंग में 1 लीटर दूध देती थी। लेकिन धीरे-धीरे इसका दूध बढ़ता गया और लगभग 15 दिनों के बाद इस गाय से दोनों मीटिंग में लगभग 7 लीटर दूध निकलने लगा। तब से अनवरत रूप से इस गाय से दूध निकाला जाता है और गाय दूध दे रही है।
इस समय इस गाय को दूध देते हुए लगभग साढे 4 वर्ष बीत चुके हैं। जबकि सबसे बड़ी बात तो यह है कि इन 9 सालों के बीच में अभी तक इसने एक भी बच्चा नहीं दिया है। इसके बावजूद लगातार दूध देती जा रही है। यह गाय शुरू से ही लोगों के कुतूहल का विषय बनी रही।
शुरुआत में बहुत सारे लोग पहुंचकर इस गाय को देखे। लेकिन अब यह स्थानीय लोगों के लिए सामान्य बात हो गई है। किंतु निश्चित रूप से यह अपने आप में एक अनोखी गौ माता हैं। इस गाय को पालने वाले भोला नाथ मिश्रा अपने आप को देवीकृपा तथा माता-पिता एवं बड़ों का आशीर्वाद मानते हैं। जिसके परिणाम स्वरुप यह अद्भुत का है उनके पास आज मौजूद है।
सबसे बड़ी बात तो यह है की इस गाय का दूध बहुत ही मोटा है जिसके चलते यह है भैंस के दूध को भी पीछे छोड़ देता है। शुरुआत में लोग इसके सेवन से डर रहे थे लेकिन बाद में धीरे-धीरे हिम्मत करके इसका दूध प्रयोग में लाया जाने लगा। गौ सेवक बताते हैं की इसका दूध अमृत के समान है। लेकिन हम इसका दावा नहीं कर सकते हैं क्योंकि हम लोग इसके ऊपर रिसर्च नहीं किए हैं हमने स्वयं आजमाया जरूर है।
रिपोर्ट : अशोक श्रीवास्तव