Uttarakhand : जर्जर स्कूल भवनों में हुई पढ़ाई तो प्रधानाचार्य पर होगी कार्रवाई, पढें | Nation One
Uttarakhand : उत्तराखंड में मानसून के आते ही शिक्षा विभाग भी एक्शन मोड पर आ गया है। हर साल मानसून सीजन के दौरान प्रदेश के राजकीय स्कूलों में पानी भरने और क्लास रूम में पानी टपकने के मामले सामने आते रहते हैं।
जिसको देखते हुए माध्यमिक शिक्षा निदेशक महावीर सिंह बिष्ट ने कहा कि जर्जर घोषित सरकारी स्कूलों में अगर क्लास संचालित की गई तो विभाग संबंधित स्कूल के प्रधानाध्यापक या प्रधानाचार्य पर कार्रवाई करेगा।
Uttarakhand : 2,785 सरकारी स्कूल जर्जर घोषित हैं
शिक्षा विभाग के अनुसार प्रदेश में 2,785 सरकारी स्कूल जर्जर घोषित हैं। ऐसे में इन स्कूलों में हर साल बच्चों के जान का खतरा बना रहता है। बावजूद इसके भी विभाग को मानसून सीजन के दौरान ही जर्जर स्कूलों की याद आती है।
प्रदेश में पहले भी जर्जर स्कूलों में कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। लेकिन अब शिक्षा विभाग यह नहीं चाहता कि इस मानसून सीजन के दौरान भी सरकारी स्कूलों में कोई घटना घटे, इसके लिए जर्जर स्कूलों में क्लास चलने पर रोक लगा दी गई है।
विभाग के अनुसार साल 2026 तक सभी स्कूलों को ठीक कर लिया जाएगा. लेकिन मौजूदा समय में शिक्षा विभाग के पास सिर्फ जर्जर स्कूलों की सूची ही है लेकिन उसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। हर साल समग्र शिक्षा अभियान के तहत मिलने वाले बजट से कितने स्कूलों में नए भवन बनाए गए हैं और कितने जर्जर भवन ऐसे हैं जहां क्लास संचालित नहीं हो रहे हैं, इसकी जानकारी विभाग के पास नहीं है।
Uttarakhand : जिलों में इतने स्कूल भवन हैं जर्जर
शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में 1,437 प्राथमिक, 303 जूनियर हाईस्कूल और 1,045 माध्यमिक विद्यालय भवन आज भी जर्जर हैं।
इसमें बागेश्वर जिले में 94, चमोली में 204, चंपावत में 123, देहरादून में 206, हरिद्वार में 170, नैनीताल में 160, पिथौरागढ़ में 193, रुद्रप्रयाग में 128, टिहरी गढ़वाल में 352, ऊधम सिंह नगर में 175 और उत्तरकाशी जिले में 185 स्कूल भवन जर्जर हाल हैं।
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