Gyanvapi : वाराणसी के ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मंदिर विवाद में ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद हिंदू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज ने मुस्लिम पक्ष से हिंदुओं के अधिकार उन्हें वापस देने की अपील की है।
उन्होंने कहा कि मुस्लिमों के सामने एक उदाहरण स्थापित करने का अवसर है। स्वामी चक्रपाणि ने कहा कि ज्ञानवापी मामले में एएसआई ने निर्णायक रिपोर्ट दी है। इससे स्पष्ट है कि वर्तमान ढांचे से पहले वहां एक विशाल सनातनी मंदिर था।
मैं मुस्लिम पक्ष से अपील करता हूं कि वे हिंदुओं के अधिकार उन्हें वापस सौंप दें और उदाहरण स्थापित करें। यह एक उदाहरण होगा कि अगर मुगलों ने कुछ गलत किया, तो वर्तमान मुस्लिम पीढ़ी उसका समर्थन नहीं करती है।
Gyanvapi : क्या है ASI रिपोर्ट में?
वाराणसी जिला अदालत ने एएसआई सर्वेक्षण का आदेश तब दिया था जब हिंदू याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि 17वीं सदी की मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद मंदिर के ऊपर किया गया था। ज्ञानवापी विवाद में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने गुरुवार की शाम एएसआई की रिपोर्ट सार्वजनिक की।
वकील विष्णु शंकर जैन ने रिपोर्ट के हवाले से दावा किया कि 17 वीं शताब्दी में मंदिर को नष्ट कर मस्जिद का निर्माण किया गया। वैज्ञानिक अध्ययनों के आधार पर अब कहा जा सकता है कि मौजूदा संरचना के निर्माण से पहले एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था।
एएसआई ने यह भी कहा कि मौजूदा ढांचे की पश्चिमी दीवार पहले से मौजूद हिंदू मंदिर का शेष हिस्सा है। एक कमरे के अंदर अरबी-फारसी शिलालेख मिला। जिसमें उल्लेख है कि मस्जिद का निर्माण औरंगजेब के 20वें शासनकाल (1676-77 ई.) में किया गया था।
इसलिए, ऐसा प्रतीत होता है कि पहले से मौजूद संरचना 17वीं शताब्दी में शासनकाल के दौरान नष्ट कर दी गई थी। खंडित मूर्तियां, दीवारों और खंभों पर ऊं, त्रिशूल, स्वास्तिक के निशान मिले हैं। कुल 32 सबूत मिले हैं, जो दावा करते हैं मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया।
Also Read : Gyanvapi : वाराणसी कोर्ट ने ASI सर्वे से जुड़ी जानकारी मीडिया में साझा करने पर लगाई रोक | Nation One