Magh Mela 2023 : कब से शुरू होगा माघ मेला, जानें कल्पवास का महत्व | Nation One
Magh Mela 2023 : प्रयागराज में हर साल माघ मेले का आयोजन किया जाता है। ये मेला पौष पूर्णिमा से शुरू होकर माघ पूर्णिमा तक रहता है। इस दौरान लोग पूरे एक महीने संगम तट पर ही रहते हैं और प्रतिदिन संगम स्थल पर स्नान-दान, तपस्या आदि करते हैं।
इसे कल्पवास कहा जाता है। अनेक धर्म ग्रंथों में कल्पवास का महत्व बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि कल्पवास के दौरान देवता भी संगम तट पर स्नान के लिए आते हैं।
Magh Mela 2023 : माघ माह 2023 कब से होगा शुरू ?
धर्म ग्रंथों के अनुसार, माघ मेला पौष पूर्णिमा से माघ पूर्णिमा तक रहता है। इस बार पौष पूर्णिमा 6 जनवरी, शुक्रवार को है और माघ पूर्णिमा 5 फरवरी, रविवार को। ये महीना माघ मास के दौरान आयोजित होता है, इसलिए इसे माघ मेला कहा जाता है।
पुराणों के अनुसार माघ माह माध यानी भगवान श्री कृष्ण से संबंधित है। इस महीने में स्वयं भगवान विष्णु गंगा जल में निवास करते हैं। इसलिए इस महीने में गंगा स्नान का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है।
Magh Mela 2023 : जानें कल्पवास का महत्व
माघ मास के दौरान श्रृद्धालु पूरे एक महीने प्रयाग में संगट तट पर निवास करते हैं और कठोर नियमों का पालन करते हैं। इसे ही कल्पवास कहा जाता है। ‘कल्प’ का अर्थ है युग और ‘वास कर अर्थ है रहना।
अर्थात किसी पवित्र भूमि पर कठोर नियमों का पालन करते हुए भगवान की भक्ति करना है कल्पवास कहलाता है। इस महीने में जरूरतमंद लोगों को ऊनी कपड़े, कंबल और आग तापने के लिए लकड़ी आदि का दान एवं धन और अनाज देने से पुण्य फल प्राप्त होते हैं।
Magh Mela 2023 : महाभारत में लिखा है माघ मास का महत्व
माघ मास का महत्व अनेक ग्रंथों में लिखा है। महाभारत के अनुशासन पर्व के अनुसार…
माघं तु नियतो मासमेकभक्तेन य: क्षिपेत्।
श्रीमत्कुले ज्ञातिमध्ये स महत्त्वं प्रपद्यते।।
अहोरात्रेण द्वादश्यां माघमासे तु माधवम्।
राजसूयमवाप्रोति कुलं चैव समुद्धरेत्।।
अर्थ- जो लोग माघ महीने में एक समय भोजन करके पूजा-पाठ करते हैं, उन्हें और उनके परिवार को अक्षय पुण्य मिलता है। दुर्भाग्य दूर होता है। इस माह की द्वादशी तिथि पर भगवान माधव या श्रीकृष्ण की पूजा करने वाले भक्त को यज्ञ के समान फल मिलता है।
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