यह सॉफ्टवेयर देखेगा भ्रष्ट अफसरों पर कितने समय में हुई कार्रवाई
नई दिल्ली
केंद्र सरकार ने एक ऐसा साफ्टवेयर लांच किया है, जिसका उद्देश्य यह देखना है कि भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है या नहीं औऱ ईमानदार अफसरों को कोई नुकसान तो नहीं हो रहा है। सॉफ्टवेयर यह सुनिश्चित करेगा कि गलत आचरण करने वालों को छोड़ा न जाए और अच्छे व्यवहार करने वालों को दंडित न किया जाए।
नई दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय में कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने विभागीय कार्यवाहियों के लिए इस ऑन लाइन सॉफ्टवेयर को लांच किया। इस मौके पर डॉ. सिंह ने इस सामूहिक प्रयास के लिए कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी), सीवीसी और अन्य विभागों की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ’अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार’ तथा भ्रष्टाचार सहन नहीं करने के सिद्धांत पर काम कर रही है। इस सॉफ्टवेयर का उद्देश्य यह देखना है कि भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जा रही है या नहीं। अधिक देरी के कारण ईमानदार अधिकारियों को किसी तरह का नुकसान न हो। उन्होंने कहा कि नौकरशाही शासन के यंत्र के रूप में काम करता है और सरकार का उद्देश्य अधिकारियों को कार्य सहज वातावरण उपलब्ध कराना है। सॉफ्टवेयर इस बात पर नियंत्रण रखेगा कि ईमानदार अधिकारियों को धमकाया नहीं जाए। यह सरकार के पारदर्शी कामकाज को प्रोत्साहन देगा। अनुशासनात्मक कार्रवाई दो साल के भीतर पूरी करने के प्रयास किए गए हैं। अनुशासन की कार्रवाई पूरी करने की समय सीमा घटाने से ईमानदार अधिकारियों को तेजी से राहत मिलेगी।
प्रधानमंत्री के सचिव भास्कर खुलबे ने कहा कि विभागीय कार्यवाही को ऑनलाइन बनाया जाना डीओपीटी की बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि विभागी कार्यवाहियों में काफी समय लगता है और यह सॉफ्टवेयर इस समस्या का समाधान करेगा। उन्होंने अनुशासनात्मक कार्यवाही से जुडे अधिकारियों के प्रशिक्षण पर जोर देते हुए कहा कि अनुशासन कार्यवाही देखने वाले अधिकारियों को नियमों और प्रक्रियाओं की पुस्तिका उपलब्ध कराई जानी चाहिए। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के एसएस और ईओ राजीव कुमार ने कहा कि डीओपीटी ने प्रक्रिया को सहज और पारदर्शी बनाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। इस सॉफ्टवेयर से विभागीय कार्यवाही की प्रकिया में तेजी आएगी और प्रणाली और पादर्शी होगी। सीवीसी सचिव नीलम साहनी ने कहा कि सॉफ्टवेयर का फोकस अनुशासन से संबंधित मामलों के लंबित होने में कमी लाने पर है। सरकारी सेवकों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई पूरी होने में काफी समय लगना चिंता का विषय रहा है। सीवीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक आदर्श रूप में विभागीय कार्यवाही दो वर्षों के अंदर पूरी हो जानी चाहिए। लेकिन इसके पूरे होने में 2 से 7 वर्षों का समय लग जाता है। देरी के कई कारण हैं। इनमें आरोपी अधिकारी के जवाब देने में देरी, आरोप सिद्ध करने के लिए दस्तावेजों का समय पर नहीं मिलना, सूचना देने और पाने में देरी के कारण सुनवाई कार्य का स्थगन और जांच पूरी करने के काम में दायित्व का अभाव शामिल है। विलम्ब को टालने और तेजी से जांच पूरी करने के लिए एआईएस (डीएंडई) नियम 1969 में संशोधन करके समय सीमा निश्चित की गई। इस संशोधन को 20 जनवरी, 2017 को अधिसूचित किया गया। संशोधन में जांच पूरी होने के लिए 6 महीने की समय सीमा का प्रावधान है। जांच पूरी होने की अवधि आगे बढ़ाने के लिए सक्षम अनुशासन अधिकारी की स्वीकृति आवश्यक है। इसी तरह आरोप पत्र पर आरोपित अधिकारी के जवाब के लिए समय सीमा लागू की गई है। लोक सेवा आयोग की सलाह के लिए भी समय सीमा तय की गई है। जो जून, 2017 की सूचना के माध्यम से केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के मामले में सीएसएस (सीसीए) नियमों के समरूप प्रावधानों में भी संशोधन किया गया है।
नियमों के किये गये संशोधनों को मजबूत बनाने और जांच प्रक्रिया को और तेज करने के लिए विभागीय कार्यवाही के लिए ऑन लाइन प्रणाली लागू की गई है। इसमें क्लाउड आधारित टेक्नॉलाजी के उपयोग की व्यवस्था है। यह प्रणाली जांच शुरू करने वाला प्रशासनिक मंत्रालय, कैडर नियंत्रण प्राधिकार, आरोपित अधिकारी और जांच अधिकारी आदि को अलग अलग मॉडयूल के माध्यम से समान मंच उपलग्ध कराती है। ऑनलाईन पोर्टल शुरू में केन्द्र सरकार में पद स्थापित आईएएस अधिकारियों के लिए होगा और बाद में केन्द्र सरकार में एआईएस अधिकारियों और केन्द्रीय ग्रुप ए अधिकारियों के लिए होगा। राज्यों में पद स्थापित एआईएस अधिकारियों पर विचार के लिए राज्यों को शामिल किया जाएगा।