हमारे धर्मग्रंन्थों के अनुसार सृष्टि के निर्माण , संचालन एवं मोक्ष करने वाले तीन देवताओं को त्रिदेव कहते हैं। इनमें से एक भगवान विष्णु को संसार का संचालनकर्ता अथवा पालनहार कहा जाता है। भगवान विष्णु के सबसे बड़े भक्त नारद मुनि उन्हें नारायण कहकर ही बुलाते हैं। इसके अलावा उन्हें अनन्तनरायण, लक्ष्मीनारायण, शेषनारायण इन सभी नामों से भी बुलाया जाता रहा है। पर मूल बात यह है कि इन सभी नामों में नारायण जुड़ा रहा है। जानिये क्यों। प्राचीन पौराणिक कथा के अनुसार, जल भगवान विष्णु के पैरों से पैदा हुआ था और इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया की भगवान विष्णु के पैर से बाहर आई गंगा नदी का नाम ’विष्णुपदोदकी’ पड़ा। इसके अलावा, जल ’नीर’ या ’नर’ नाम से जाना जाता है और भगवान विष्णु भी पानी में रहते हैं, इसलिए, ’नर’ से उनका नाम नारायण बना, इसका मतलब है पानी के अंदर रहने वाले भगवान। भगवान विष्णु को ’हरि’ नाम से भी जाना जाता है हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, हरि का मतलब हरने वाला या चुराने वाला इसलिए कहा जाता है। ’हरि हरति पापणि’ इसका मतलब है हरि भगवान हैं, जो जीवन से पाप और समस्याओं को समाप्त करते हैं।
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