उत्तराखंड: एनएच घोटाले पर विपक्ष हमलावर
देहरादून
एनएच घोटाले की जांच के खेल में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की गुगली पर सरकार बोल्ड हो गई है। अब हालात ये हैं कि इसी गुगली के आधार पर विपक्षी दल कांग्रेस ने पूरी सरकार को ही हारा हुआ घोषित कर हमले की तैयारी की है। सरकार की ओर से भले ही अपने तर्क दिए जा रहे हैं, लेकिन कोई तार्किक बात सरकार के पास नहीं है।
नेशनल हाई वे के लिए जमीन अधिग्रहण मामले में अरबों रुपये की काली कमाई की बात सामने आ रही है। कांग्रेस सरकार के समय में हुए इस कथित घोटाले की खुलासा भी कांग्रेस के समय में ही कुमाऊं के तत्कालीन आयुक्त डी. सैंथिल पांडियन ने अपनी जांच में किया था। कांग्रेस सरकार ने इस घोटाले पर मौन साध लिया था। चुनाव के बाद भाजपा सत्ता में आई तो इस मुद्दे ने फिर से तूल पकड़ा।
प्रदेश सरकार ने करप्शन के मामलों पर जीरो टालरेंस की बात करके इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी। लंबे समय तक सीबीआई से कोई जवाब नहीं आया तो सरकार ने केंद्र सरकार को एक रिमाइंडर भी भेज दिया। इसी बीच अचानक ही केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने जबरदस्त अंदाज में एंट्री की और मामले की जांच सीबीआई से नहीं कराने के लिए एक पत्र लिखा। इतना ही नहीं गडकरी ने लिखा कि अगर राज्य सरकार का यही रुख रहा तो उत्तराखंड को एनएच के और नए प्रोजेक्ट देने से पहले सोचना होगा।
इस खत के रूप में आई गडकरी की इस गुगली पर सरकार बोल्ड हो गई। सीएम ने एक बार दिल्ली जाकर केंद्रीय मंत्री से बात भी की। लेकिन गडकरी कुछ सुनने तो तैयार ही नहीं हुए। अब सरकार के प्रवक्ता औऱ काबीना मंत्री मदन कौशिक भले ही यह कह रहे हैं कि जांच सीबीआई से कराने के मामले में सरकार पीछे नहीं हटी है। लेकिन सच्चाई यही है कि अब सीबीआई जांच के कोई आसार ही नहीं दिख रहे हैं। यही वजह है कि विपक्ष ने भी सरकार के बोल्ड होने को ही मुद्दा बना लिया है। नेता प्रतिपक्ष डा. श्रीमती इंदिरा ह्रदयेश कर रही है कि सरकार इस मुद्दे को दबाना चाहती है। सरकार को सदन में इसी मुद्दे पर घेरा जाएगा।
पांडियन को हटाने से बढ़ी परेशानीः पिछले दिनों सरकार ने इस एनएच मामले की परतें खोलने वाले आईएएस अफसर डी. सैंथिल पांडियन को कुमाऊं के आयक्त पद से हटा दिया है। ऐसा करके सरकार ने विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा खुद ही थमा दिया है। कांग्रेस कह रही है कि अगर सरकार की मंशा इस मामले में साफ है तो घोटाला खोलने वाले अफसर को क्यों हटाया गया।
सरकार नहीं भेज सकी दूसरा रिमाइंडरः इस मामले की सीबीआई से जांच कराने के लिए सरकार ने पहले सिफारिश की। कोई जवाब नहीं आया तो राज्य सरकार की ओऱ से केंद्र सरकार को इस मामले में एक रिमाइंडर भी भेजा गया। गडकरी का पत्र आने के बाद जब हो-हल्ला हुआ तो सरकार की ओर से कहा गया है कि जांच सीबीआई से ही होगी और सरकार जल्द ही दूसरी रिमाइंडर केंद्र को भेज रही है। लेकिन सरकार की ओऱ से दूसरा रिमांइडर अब तक नहीं भेजा गया है।
यूपी में सीबीआई कर रही परीक्षणः उत्तर प्रदेश में भी यमुनोत्री हाई-वे को डबल लेन करने के मामले में तमाम गड़बड़ियां सामने आईं थी। यूपी सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की थी। सूत्रों ने बताया कि सीबीआई से इस मामले के तमाम दस्तावेजों की परीक्षण शुरू कर दिया है। यह देखा जा रहा है कि यह मामला सीबीईआई जांच के लायक है भी या नहीं। अगर कुछ साक्ष्य हासिल हुए तो सीबीआई केस पंजीकृत करेगी। यहां उत्तराखंड में सीबीआई ने अब तक किसी भी दस्तावेज का परीक्षण नहीं किया है।