PM मोदी के कृषि कानून वापस लेने पर भी धरने पर बैठे किसान, राकेश टिकैत ने बताई ये वजह | Nation One
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से क्षमा मांगते हुए कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की और आंदोलनरत किसानों से घर-खेत-परिवार के बीच लौटने की अपील भी की। लेकिन, आंदोलनकारी किसानों के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि आंदोलन अभी खत्म नहीं होगा।
उन्होंने कहा जब संसद से कानून वापस हो जाएगा, तब मानेंगे। अभी तो केवल घोषणा हुई है। टिकैत ने कहा कि सरकार और किसानों के बीच बातचीत का भी रास्ता खुले और एमएसपी सहित हमारे अन्य मुद्दों पर निर्णय हो।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के सत्र में कानून रद किए जाने का प्रस्ताव लाया जाएगा। देश की संसद द्वारा पारित किसी कानून को वापस लेन की एक प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया पांच चरणों में पूरी होती है।
प्रस्ताव भेजना : जिस कानून को रद किया जाना है, उससे संबंधित एक प्रस्ताव तैयार किया जाता है और इसे कानून मंत्रालय को भेजा जाता है।
प्रस्ताव सदन में पेश करना : जिस मंत्रालय से संबंधित कानून है, उसकी ओर से उसे वापस लिए जाने संबंधी बिल सदन में पेश किया जाएगा।
बहस व मतदान : बिल पर सदन में बहस और बहस के बाद मतदान कराया जाएगा। अगर कानून वापस लिए जाने के समर्थन में ज्यादा मत पड़े तो कानून वापस लिया जा सकेगा।
अधिसूचना :
अगर सदन से प्रस्ताव पारित हो गया तो राष्ट्रपति की मंजूरी के जरिए कानून रद किए जाने की अधिसूचना जारी हो जाएगी।
संयुक्त किसान मोर्चा ने क्या कहा ?
तीनों कानूनों की वापसी की घोषणा के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा, हम तीनों किसान विरोधी कानूनों को निरस्त करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फ़ैसले का स्वागत करते हैं।
हम संसदीय प्रक्रियाओं के माध्यम से घोषणा के प्रभावी होने की प्रतीक्षा करेंगे। अगर ऐसा होता है तो यह भारत में एक साल के किसान संघर्ष की ऐतिहासिक जीत होगी।
‘पहले ही लेना चाहिए था यह फैसला’
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा, ‘केंद्र सरकार ने कृषि क़ानूनों को देर से रद्द करने की घोषणा की है। यह फ़ैसला बहुत पहले ले लिया जाना चाहिए था। इसके लिए सभी किसानों को हार्दिक बधाई।
यदि केंद्र सरकार यह फ़ैसला काफी पहले ले लेती तो देश अनेक प्रकार के झगड़ों से बच जाता।’ वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी कहा है कि अगर सरकार यही फैसला पहले करती तो 700 किसानों की जान न जाती।