उत्तराखंड स्थापना दिवस : 21 सालों में हासिल किए कई मुकाम लेकिन सफर अब भी जारी | Nation One
देहरादून : संघर्ष से मिले उत्तराखंड राज्य ने 21 साल पूरे कर लिए हैं उत्तराखंड वासियों ने उत्तर प्रदेश से पृथक राज्य की मांग इसलिए की थी ताकि पहाड़ी क्षेत्र के लोग अपना खुशहाल जीवन जी सकें उनके नौनिहालों को रोजगार मुहैया हो और पहाड़ी राज्यों का विकास हो लेकिन 21 साल बीत जाने के बाद आज उत्तराखंड राज्य ने क्या खोया क्या पाया ।
उत्तराखंड आज 21 साल पूरे कर पूर्ण युवा हो चुका है। इन 21 साल में राज्य ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं तो कई ऐसे पहलू भी हैं जिनकी कसक आज भी दूर नहीं हो पाई है। जहां बुनियादी ढांचे के विकास, सड़क-रेल-एयर नेटवर्क के लिहाज से उत्तराखंड तेजी से छलांग लगा रहा है।
वहीं रोजगार, पलायन और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में आज भी राज्य अपेक्षित मुकाम हासिल नहीं कर पाया। हालांकि, गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी भी बनाया गया।
10 उपलब्धियां :
- उत्तराखंड में 85 हजार करोड़ रुपये के विकास-निर्माण कार्य जारी
- राज्य में आलवेदर रोड़ का निर्माण, 65 फीसदी काम पूरा
- ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन, तेजी से जारी है निर्माण
- स्कूलों में एक समान पाठ़यक्रम को एनसीईआरटी की किताबें लागू
- गैरसैंण ग्रीष्मकालीन के रूप में घोषित, बुनियादी ढांचे का निर्माण जारी
- राज्य में शहरी निकायों की संख्या 100 हुई, नगर निगम 08 हुए
- आपदा बचाव राहत के लिए 2014 में विशेषज्ञ बल एसडीआरएफ का गठन
- सरकार की ज्यादातर सेवाएं अब ऑनलाइन हो चुकी है
- एयर कनेक्टिविटी बढ़ी, देहरादून से 11 शहरों के लिए सीधी हवाई सेवा
- राज्य के सभी लोगों को लगी कोविड रोधी टीके की एक डोज
10 नाकामियां :
- पलायन की समस्या का ठोस समाधान का अभाव, 1700 गांव हैं निर्जन
- राज्य में समय पर नहीं हो पा रही हैं भर्तियां, बेरोजगारी का ग्राफ बढ़ रहा है
- आपदाओं से निपटने का ठोस इंतजाम हीं, पुनर्वास प्रकिया भी धीमी
- बिजली उत्पादन क्षमता नहीं बढ़ी,25 हजार की संभावना और उत्पादन सिर्फ 1292 मेगावाट
- शहरों में आवासहीन परिवारों की संख्या अब भी एक लाख
- राज्य के सभी अस्पतालों में डॉक्टरो की तैनाती,25 फीसदी की है कमी
- राज्य के माध्यमिक स्कूलों में पांच हजार से ज्यादा स्थायी शिक्षकों की कमी
- जुलाई 2022 के बाद जीएसटी प्रतिपूर्ति की व्यवस्था के लिए ठोस रणनीति का अभाव
- अस्पतालों में मरीज और सुविधा के अनुपात को सुधारना (iphs मानक लागू करना)
- पर्वतीय क्षेत्र में कृषि और बागवानी नहीं बन पाई है पूरी तरह लाभदायक