चिंताजनक : 60 दिन बाद घटने लगती है कोविशील्ड-कोवैक्सीन लगवाने वालों में एंटीबॉडीज | Nation One
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा अभी कम नहीं हुआ है। देश में कोरोना वायरस की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है। इसीलिए कोरोना वायरस को मात देने के लिए देशभर में बड़े स्तर पर वैक्सीनेश अभियान चलाया जा रहा है।
अबतक 75 करोड़ डोज लगाई जा चुकी हैं और साल के अंत तक युवाओं का वैक्सीनेशन पूरा हो जाने की आशंका जताई जा रही है। लेकिन इसी बीच एक स्टडी ने चिंता बढ़ा दी है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आईसीएमआर-रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर ने स्टडी में पाया है कि कोरोना वायरस की कोवैक्सीन और कोविशील्ड लगवाने वालों के अंदर 60 दिनों बाद एंटीबॉडीज का स्तर कम होने लगता है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एक न्यूज चैनल से बातचीत करते हुए डॉ. देवदत्त भट्टाचार्य ने कहा कि हमने कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनों के कुल 614 प्रतिभागियों के साथ एक स्टडी की गई।
हमने उनके अंदर एंटीबॉडी बनते हुए देखी और 6 महीने तक उसे फॉलो किया। जिसमें पाया गया कि जिन्होंने कोरोना की कोवैक्सीन की दोनों डोज ले रखी थीं। उनमें 60 दिनों के बाद एंटीबॉडीज कम होने लगीं।
वहीं कोरोना की कोविशील्ड वैक्सीन की डोज लेने वालों के भीतर 90 दिनों के बाद एंटीबॉडीज घटने लगीं। डॉ. देवदत्त भट्टाचार्य ने यह भी बताया कि इस स्टडी का मकसद सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ लगने वाली वैक्सीन की एंटीबॉडी के बारे में जानकारी हासिल करना है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आईसीएमआर-आरएमआरसी के द्वारा की गई इस स्टडी के बारे में बताया गया कि हेल्थ केयर वर्कर्स को वैक्सीन लगने के बाद उन्हें 6 महीनों तक फॉलो किया गया कि उनमें क्या कोई बदलाव आए हैं या नहीं आए हैं।
यह स्टडी को इसी वर्ष मार्च के महीने में शुरू किया गया था। एंटीबॉडी में कमी आने से चिंताएं पैदा होने पर आईसीएमआर-आरएमआरसी के डायरेक्टर संघमित्रा पती ने बयान दिया है।
उनका कहना है कि एंटीबॉडीज में भले ही गिरावट आई हो लेकिन एंटीबॉडीज बनी रहती हैं। हम उन पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।
8 हफ्तों में इसमें गिरावट देखी गई, इसलिए हम 6 महीने बाद उसको फॉलो करेंगे और हमने इसे पर आने वाले कुछ समय तक नजर बनाए रखने की योजना बनाई है।