आजाद भारत में पहली बार होगी किसी महिला को फांसी, जानिए कौन है शबनम और क्या था उसका जुर्म | Nation One
साल 2008 की 14/15 अप्रैल की रात अमरोहा शहर के निकट बावनखेड़ी गांव में कुछ ऐसा हुआ, जिसे देख कर हर जगह सनसनी फैल गई। उस रात ने लोगों के मन में शबनम के नाम से इतना खौफ डाल दिया कि वहां पर अब तक किसी ने अपनी बहन-बेटी व बहू का नाम शबनम नहीं रखा। क्यों कि शबनम इस आज़ाद भारत की पहली महिला होगी जिसे फांसी पर लटकाया जाएगा। चलिए जानते है, क्या है शबनम अमरोहा का पूरा मामला ?
कौन है शबनम ?
शबनम अमरोहा के बावनखेड़ी नामक गांव में रहने वाली एक महिला है। शबनम का प्रेम संबंध सलीम नामक व्यक्ति से चल रहा था। जो उसी गांव का रहने वाला था। शबनम ने अंग्रेजी से एमए (M.A.) किया हुआ है और सलीम पांचवी फेल था। शबनम एक अच्छे परिवार से थी, और उनके पास काफी जमीने थी, दूसरी ओर सलीम पेशे से एक मजदूर था।
शबनम को फांसी का कारण
जानकारी के लिए बता दें कि यह बात साल 2008 के 14-15 तरीख की रात में हुए अमरोहा के निकट बावनखेड़ी गांव की है। जब शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने ही परिवार के 10 लोगों का कुल्हाड़ी से गला काटकर उन्हें मौत के घाट उतार दिया, जिसमें एक 8 महीने का मासूम बच्चा भी शामिल था। बता दें कि घटना के दौरान शबनम खुद भी 7 माह की गर्भवती थी। काफी लंबी कार्यवाहियों के बाद सलीम को फांसी की सजा सुना दी गई थी और अब शबनम को भी फांसी की सजा के लिये आदेश आ गया है। इस कांड को सुनने के बाद दूर – दूर तक डर फैल गया था।
कब होगी शबनम को फांसी
शबनम को फांसी फरवरी महीने में ही होनी थी, परन्तु इसे कुछ समय के लिए टाल दिया गया था। आपको बता दें कि दया याचिका को दायर करने का अधिकार सिर्फ दो बार होता है, और राष्ट्रपति पहले ही शबनम की एक दया याचिका खारिज कर चुके हैं लेकिन दूसरी दया याचिका राज्यपाल के पास लंबित है। इसी दौरान शबनम के वकील ने फांसी की सजा टालने के लिए तीन मजबूत दलीलें अदालत में पेश की हैं।
जानिए कौन सी वो तीन दलीलें हैं जो शबनम को फांसी से बचा सकती हैं?
हरियाणा का सोनिया कांड
यह केस 23 अगस्त साल 2001, का है। जिसमें विधायक रेलूराम पूनिया समेत 9 लोगों की हत्या कर दी गई थी और आरोप विधायक रेलूराम पूनिया की बेटी और दामाद पर लगा था। जांच के समय दोनों को दोषी पाया गया था। इस मामले में हिसार कोर्ट ने फांसी की सजा तय की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे उम्र कैद में बदल दिया था। जब सुप्रीम कोर्ट में मामले की अपील हुई तो दोबारा फांसी की सजा तो सुनाई गई लेकिन दया याचिका के आधार पर फांसी की सजा उम्रकैद में तब्दील हो गई थी।
देश में नहीं हुई किसी महिला को फांसी
शबनम ने अपनी दलील में यह बात भी कही है कि देश में किसी भी महिला को अभी तक फांसी नहीं हुई है। सीरियल किलर दो बहने रेणुका और सीमा के ऊपर 42 बच्चों के हत्या का आरोप है। दोनो को फांसी की सजा सुनाई गई पर अभी तक सजा नहीं हुई है।
शबनम का बेटा
शबनम ने अपने 12 साल के बेटे ताज का भी हवाला दिया है। जब शबनम का बेटा अपनी मां से मिलने जेल गया तब ताज ने भी अपनी मां की सजा माफ करने के लिए राष्ट्रपति से अपील की है।
अब सवाल ये उठता है कि क्या ये तीन दलीलें शबनम की फांसी रोक पाएंगी? अगर नहीं तो, कब होगी शबनम को फांसी? क्या शबनम की फांसी बनेगा चर्चा का विषय?