उपराष्ट्रपति ने विकास मॉडल का किया आह्वान, कहा आदिवासियों की विशेष पहचान को संरक्षित करे | Nation One | Nation One
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने एक ऐसे विकास के मॉडल का आह्वान किया है जो आदिवासियों की विशेष पहचान को संरक्षित करे। उन्होंने कहा कि जनजातीय लोगों की संस्कृति उनकी पहचान है चाहे वे मुख्यधारा में आ गए हों, लेकिन फिर भी इसे बचाये रखना आवश्यक है।
नई दिल्ली स्थित दिल्ली हाट में राष्ट्रीय जनजातीय उत्सव आदि महोत्सव के उद्घाटन के बाद एक फेसबुक पोस्ट में उपराष्ट्रपति ने कहा कि आदिवासी संस्कृति का किसी भी प्रकार का नुकसान संपूर्ण मानवता के लिए एक अपूरणीय क्षति होगी। आदिवासी विकास के सामने आने वाली चुनौतियों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार हमेशा से ही आदिवासियों की समस्याओं के प्रति चिंतित रही है।
उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि वास्तव में शहरी आबादी को सिखाने के लिए जनजातियों के पास बहुत कुछ है। उन्होंने जनजातियों के साथ व्यवहार करते समय खुले दिमाग रखने और विनम्रता के आचरण का आह्वान किया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि जनजातीय जीवन का तरीका मौलिक, सत्य, शाश्वत मूल्यों और एक प्राकृतिक सादगी से निर्देशित होता है।
आदिवासी हस्तशिल्प की विस्तृत परंपरा के बारे में उपराष्ट्रपति नायडू ने इन उत्पादों को बढ़ावा देने और लोकप्रिय बनाने तथा अपनी आय के स्रोतों में सुधार करने के लिए आदिवासियों के प्राकृतिक कौशल को सामने लाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने प्रतिष्ठित संगठनों से आदिवासी कारीगरों और मुख्यधारा के डिजाइनरों के बीच बातचीत को प्रोत्साहन देने की पहल के लिए सरकार की सराहना की।