परखने की शक्ति हमारे सफलता का मुख्य आधार, पढ़ें पूरी खबर | Nation One
रिपोर्ट : मनोज श्रीवास्तव
देहरादून : योग बल से परखने की शक्ति में वृद्धि होती है। परखने की शक्ति से हम जिस समय जिस शक्ति की आवश्यकता को महसूस करते है उसे प्रयोग कर सकते है। परखने की शक्ति हमारे सफलता का मुख्य आधार है परखने की शक्ति कम होने के कारण हमारे पास अन्य शक्तियाॅ उपलब्ध होते हुए भी, हम उसका प्रयोग नही कर पाते है।
परखने की शक्ति होने के कारण यदि हमारे सामने कोई समस्या या परिस्थिति आने वाली होगी जब हम उसे पहले ही कैच कर लेगें। परखने की शक्ति से हम आने वाल विघ्नों को पहले से कैंच कर लेते है जिससे वह विघ्न समस्या या तूफान बन कर नही आती है।
यह पहले से पता चल जाने के कारण परखने की शक्ति हमारे सेफटी का साधन बन जाती है। दूश्मन आये और उससे लड कर विजयी प्राप्त कर ले इसमें भी टाईम लग जाता है। परखने की शक्ति की सहायता से हम अपने सामने दुश्मन को आने ही नही देते है।
दिन प्रतिदिन हम अनुभव करंगे कि यदि हमारे सामने कोई बाधा आने वाली होगी तब हम उसको पहले ही जाना लेंगे कि ऐसा होने वाला है। योगबल के अभ्यास से जितना हम युक्तियुक्त होंगे उतना ही विघ्नों को स्पष्ट देख लेंगे। परखने की शक्ति हमारे लिए दर्पण का कार्य करती है।
कर्मयोगी, कर्म के स्टेज पर आकर दुनिया के सम्पर्क में आता है लेकिन इसका मूल लगाव या आकर्षण आत्मा के अनुभव के सागर के तल में रहता है। आनन्द के अनुभवी स्टेज पर चले जाने से छोटी छोटी बातो से स्वत किनारा हो जाता है। अर्थात ऐसी स्थिति में सभी प्रकार की समस्या हम से विदाई ले लेती है।
कर्म युद्ध के स्थल पर युद्ध जैसी परिस्थिति पैदा हो जाती है। शरीर निर्वाह के लिए हमें कर्मभूमि के युद्ध पर जाना ही होता है। लेकिन जब तक हम आत्मा का निर्वाह करके अपने आत्मिक बल में वृद्धि नही कर लेते है तब तक किसी भी प्रकार के युद्ध में सफलता को प्राप्त नही कर सकते है। आत्मिक उन्नति का माध्यम है स्वार्थ से आगे निकल कर परार्थ के मार्ग पर चलना। यदि जीवन के प्रति साधन व सम्पत्ति लगाने के स्थान पर सर्व कल्याण के प्रति लगाना होगा।
जिस प्रकार किसी योद्धा की धुन विजय प्राप्त करने में लगी रहती है ऐसे ही हम अपनी सेवा सर्व कल्याण के प्रति लगायें। इस सेवा से मिलने वाला फल हमें शक्ति देता है जो हमारे कर्म युद्ध के लिए मुख्य हथियार साबित होता है। इसलिए किसी भौतिक आधार को जीवन का आधार नही बनने देना चाहिए क्योकि इससे हमारे योग की प्रयोग बल में कमी आ जाती है। हमें अपने योग बल की शक्ति का निरन्तर अभ्यास करना होगा, अभ्यास न करने के कारण योग बल लुप्त हो जाता है। इससे जब कोई धटना या परिस्थिति आ जाती है तब हमारा घ्यान स्थूल भौतिक साधन पर रहता है। जबकि हमारा घ्यान अपने योग बल पर होना चाहिए।
समस्या और परिस्थिति को देखकर हम अपनी स्व की स्टेज के सीट से नीचे आ जाते है। स्व की सीट से नीचे आ जाने पर हम अपसैट हो जाते है। इससे हमारे बुद्धि में अनेक प्रकार के तूफान पैदा हो जाते है। जब हमें कोई तोहफा देता है तब हमारी बुद्धि में हलचल नही आती है बल्कि उमंग उत्साह आता है। इसी प्रकार यदि हम जीवन में आने वाले तूफान को तोहफा समझ लें जब उससे मिलने वाली उमंग उत्साह और हिम्मत की मदद से मन में आने वाले हलचल से बच जाते है।
मन में हलचल चलता है कि यह क्यो हुआ, यह कैसे हुआ। किन्तु हलचल के तल पर जाने पर ज्ञान रत्न मिलते है। जिसकी मदद से हम अपनी समस्याओं का समाधान कर लेते है। ऊपर से यदि हम हलचल में हो किन्तु हमारी अन्र्तमुखी दृष्टि समस्या का समाधान निकाल लेती है। कोई बात देख कर या सुन कर हमें आश्चर्य का अनुभव नही होगा क्योकि हमारे मन की हलचल अब समाप्त हो चुकी है।
योग बल से हम आने वाले परिस्थितियों को जान लेते है और नथिंग न्यू की अवस्था में हम एकाग्र, एकरस और एकान्त में जाकर सभी प्रकार के हलचल को समाप्त कर लेते है। अभी भी विघ्न और परीक्षाएं आती रहती है। लेकिन ज्ञान रत्न के कारण हम ना तो आश्चर्य में आते है ना हलचल में आते है। फाइनल पेपर में आश्चर्यजनक क्वेश्चन मिलते है। लेकिन योग बल की सहायता से हम अचल अडोल और एक रस की अवस्था में रहते हुए सभी प्रश्नों का उत्तर दे देते है।
दुश्मन आये और हम सामना न कर सके ऐसी स्टेज नही बनाना है। माया को हारने के लिए मजबूत घेराव डालना है। उसी का किला मजबूत होता है जो स्वय मजबूत रहता है। घेराव डाल कर ढीला नही बैठना है और ना ही पीछे हटना है। समस्या के सैट को सम्भालने में समय नही लगाना चाहिए। अर्थात निरन्तर योगी की जगह अन्तर वाले योगी नही बनना है। योग बल से प्रैक्टिकल स्वरूप का प्लान बनाने से सफलता सम्मुख मिलती है।
योगबल से हमारा किला मजबूत होगा। किले की दीवार, स्वयं आन्तरिक बल की दीवार है। दिवार के बीच से यदि एक ईट या पत्थर हिल जाय तब हमारे भीतर क्रैक, दरार आ जाती है जिससे सम्पूर्ण दीवार ही कमजोर हो जाती है। जीवन में आने वाले माया के भूकम्प हमारे फाउडेशन को हिला देते है लेकिन जब हमारे योग बल से हमारी फाउडेशन मजबूत है तब माया के भूकम्प का हमारे उपर कोई प्रभाव नही पडता है।
समय का धक्का लगेगा तब चल पडेगे ऐसे सोच कर जहाॅ का वही रूके नही रहना है। किसी प्रकार के सहारा मिलने की उम्मीद में इन्तजार करते हुए खडे नही रहना है। अगद की स्टेज बना कर सभी प्रकार के हलचल को समाप्त करना है। पहाड़ों पर हुई बर्फवारी के बाद रूके हुए रास्ते को योग अग्नि से साफ करना है। योग अग्नि तेज करने पर बर्फ से बन्द रास्ता क्लियर हो जाता है। अर्थात योग बल से मिली हुई हिम्मत और उल्लास की प्वाईन्ट बुद्धि में दौडाने से रास्ता क्लियर मिलता है।