कांग्रेस में विभाजन करने वालों के प्रति मेरा रुख यथावत : हरीश | Nation One
देहरादून : कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व सीएम हरीश रावत ने फिर दोहराया है कि साल 2016 में पार्टी छोडऩे वाले लोगों की वापसी पर तब तक विचार नहीं होना चाहिए, जब तक वो सार्वजनिक रूप से माफी न मांग लें. बकौल हरीश रावत, लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने वाले लोग लोकतंत्र के अपराधी हैं और उत्तराखंड के भी. साल 2016 में अस्थिरता से राज्य को विकास के मोर्चे पर बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था. रावत का यह बयान मंत्री हरक सिंह रावत के चुनाव न लडऩे के बाद उनके दूसरा नया सियासी आशियाना तलाशने की चर्चाओं के बीच आया है.
हालांकि हरक ने अब तक यह नहीं कहा कि, वो कोई भी ऐसा कदम उठाने जा रहे हैं. हरक का कहना है कि उन्होंने चुनाव न लडऩे का निर्णय किया है. बाकी हाईकमान का निर्णय सर्वोपरि है. हरक के बयान के बाद नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के नरम बयानों से संदेश गया कि कांग्रेस हरक के स्वागत के लिए तैयार है.
रावत ने बीते रोज भी अपना विरोध जाहिर कर दिया था. उन्होंने फिर कहा कि, पार्टी में विभाजन करने वाले लोगों के प्रति उनका रुख यथावत है. इन लोगों को लोकतंत्र और राज्य से सार्वजनिक रूप से माफी तो मांगनी ही होगी. कुछ नेताओं के प्रति जिस प्रकार स्वागतभाव दिखाया गया वो ठीक नहीं है.
आपको बता दें, पिछले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के कई दिग्गजों ने एक झटके में संगठन को अलविदा कह दिया था. अपने-अपने गढ़ में मजबूती रखने वाले इन बागियों की वजह से कांग्रेस सरकार को चुनाव में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था. तब भी पूर्व सीएम हरीश रावत ने बागियों के माफी मांगने पर पार्टी में वापसी संभव जैसा बयान देकर उत्तराखंड की राजनीति को फिर से गर्मा दिया था.
नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने भी कहा था कि बागियों के पुराने साथी होने के नाते पूर्व सीएम व पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव का बयान ठीक है. लेकिन किसी भी फैसले का अधिकार हाईकमान के पास है. उस वक्त भी किसी ने कांग्रेस ज्वाइन करने की बात नहीं की. लिहाजा, वर्तमान में इस तरह की टिप्पणी करना ठीक नहीं. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अच्छा होगा कि इस तरह की टिप्पणियों से दूर होकर हम अपने विवादों को उभरने न दें. भाजपा की नाकामियों से लड़कर चुनाव जीतने पर फोकस किया जाए.
इन लोगों ने छोड़ी थी कांग्रेस
पूर्व सीएम विजय बहुगुणा, हरक सिंह रावत, प्रणव सिंह चैंपियन, सुबोध उनियाल, अमृता रावत, उमेश शर्मा काऊ, प्रदीप बत्रा, शैलेंद्र मोहन सिंघल, शैला रानी रावत के बाद यशपाल आर्य, सतपाल महाराज व रेखा आर्य तत्कालीन सीएम हरीश रावत से नाराजगी जताकर पार्टी से अलग हो गए थे.