
दरोगा जी बहाल हो गए पर, उलेमा बोले – दाढ़ी कटवाने से बेहतर नौकरी ही छोड़ देते | Nation One
सहारनपुर : बागपत जिले में तैनात दरोगा जी दाढ़ी कटवाकर भले ही बहाल हो गए हो पर अब उलेमा के निशाने पर आ गए हैं. उनका कहना है कि, दाढ़ी कटवाने से बेहतर नौकरी ही छोड़ देनी चाहिए थी. दरोगा जी परेशान, करें तो क्या करें. इसी बात को लेकर अब दाढ़ी पर विवाद गहरा होता जा रहा है.
जहां पहले उलमा दाढ़ी न कटवाने पर शरीयत का पाबंद बता इंतसार अली पर बधाइयां न्योछावर कर रहे थे वहीं, अब दाढ़ी कटवाने के बाद अब दरोगा इंतसार उलमा के निशाने पर आ गए हैं. उलमा ने कहा है कि यह शरीयत में बड़ा जुर्म है.
आपको बता दें, बागपत में तैनात सब इंस्पेक्टर इंतसार अली को बिना अनुमति लंबी दाढ़ी रखने के आरोप में पुलिस अधीक्षक ने निलंबित करते हुए पुलिस लाइन भेज दिया था. इसके बाद दरोगा ने दाढ़ी कटवा दी थी. दाढ़ी कटवाने के बाद एसपी ने दरोगा इंतसार अली को बहाल कर दिया था.
मदरसा जामिया फातिमा जोहरा एंग्लो अरेबिक के मोहतमिम मौलाना लुत्फुर्रह्मान सादिक कासमी ने इंतशार अली को दाढ़ी कटवाने पर नसीहत देते हुए कहा कि दाढ़ी न रखना शरीयत के हिसाब से जुर्म है और दाढ़ी रखकर कटवा देना, उससे भी बड़ा जुर्म है. लिहाजा दाढ़ी कटवाकर नौकरी को तवज्जो देना या अपने कारोबार को तवज्जो देना गलत है. अगर कहीं इस तरह की विकट परिस्थिति आ जाये तो दाढ़ी नहीं बल्कि नौकरी छोड़ देनी चाहिए.
वहीं, फतवा ऑनलाइन के प्रभारी मुफ्ती अरशद फारूकी का कहना है कि देश के बुनियादी दस्तूर के मुताबिक यहां रहने वाले लोगों को अपने मजहब के अनुसार जीवन यापन करने की आजादी है. जहां तक पुलिस महकमे की बात है तो बकौल दरोगा इंतसार उन्होंने बड़े अधिकारियों से दाढ़ी रखने की अनुमति मांगी, जो कि उन्हें नहीं दी गई.
ऐसे मामलों में मुसलमानों को जज्बात में न आकर कानून और अदालत का सहारा लेना चाहिए. मुस्लिम वकीलों को इस तरह के मामले में अदालत जाना चाहिए. वहीं, मुफ्ती फारूकी ने कहा कि दरोगा इंतसार अली को इतनी जल्दी घबराकर दाढ़ी नहीं कटवानी चाहिए थी. बल्कि, इस पूरे मामले में मुस्तैदी के साथ डटे रहना चाहिए था.