
सीएम रावत की पहाड़ के युवाओं को बर्तन मांजने की मानसिकता छोड़ स्वरोजगार अपनाने की नसीहत | Nation One
देहरादूनः मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का जोर अब युवाओं पर है. अपने कार्यक्रम और सभाओं में वह युवाओं को ही ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं. उनका मानना है कि, युवाओं के हाथों में हुनर देने से ही राष्ट्र का विकास हो सकेगा क्योंकि युवा ही देश की दिशा और दशा बदल सकता है. हाल ही में लैंसडाउन में भैरवगढ़ी परियोजना का लोकार्पण करते हुए उन्होंने राज्य के बेरोजगारों को बर्तन मांजने की मानिसकता छोड़कर स्वरोजगार अपनाने की नसीहत भी दी थी.
मुख्यमंत्री का कहना है कि, युवा समाज का रुख मोड़ने की शक्ति रखते हैं और उत्तराखंड के युवा जिस दिन इस शक्ति को पहचान लेंगे, प्रदेश के विकास की रफ्तार दोगुनी हो जाएगी. समाज जब किसी पहल को अपना लेता है तो वह जनआंदोलन बन जाता है. उसको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता. ऐसे किसी भी आंदोलन में युवाओं की अग्रणी भूमिका होती है. उनका यह भी मानना है कि, उत्तराखंड के युवाओं में चुनौतियों को अवसर में बदलने के लिए उन्हें अपनी क्षमता को पहचानने की आवश्यकता है. कोरोनाकाल में हताश होने के बजाय युवाओं को संभावनाओं पर गौर करना चाहिए.
आपको बता दें, पहाड़ों पर रोजगार के अवसर कम होने पर यहां के युवा रोजगार की तलाश में पलायन करते रहे हैं. सबसे शिक्षित जिलों में अल्मोड़ा और पौड़ी को माना जाता है मगर, यहीं से सबसे ज्यादा पलायन हुआ है. जहां लोग खेती कर रहे हैं वहां पलायन नहीं है. यह भी माना गया है कि, जहां सड़कें पहुंच गईं वहां जल्दी पलायन हुआ और जहां बाद में पहुंचीं वहां पलायन कम हुआ.