
प्रशांत भूषण का माफ़ी मांगने से फिर इंकार, कहा- अंतरात्मा की अवमानना होगी माफी मांगना | Nation One
नई दिल्ली | वरिष्ठ अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगने से इनकार कर दिया है। प्रशांत भूषण ने कहा कि वह अदालत का बहुत सम्मान करते हैं लेकिन माफी मांगना अंतरात्मा की अवमानना होगी। सुप्रीम कोर्ट भूषण को सजा पर कल सुनवाई करेगा। बता दें कि यह मामला भूषण के 2020 में किए दो ट्वीट से जुड़ा हुआ है।
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सुप्रीम कोर्ट की आपराधिक अवमानना के दोषी वकील प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट में बिना शर्त माफीनामा दाखिल करने के लिए आज तक का समय दिया था। अब उनकी सजा पर सुनवाई कल यानी 25 अगस्त को होगी।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने दिया था ये आदेश
पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने अवमानना मामले में सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था। शीर्ष अदालत ने आदेश में लिखा था कि ‘हमने अवमानना के दोषी को बिना शर्त माफी मांगने के लिए समय दिया है। वह चाहे तो 24 अगस्त तक ऐसा कर सकते है। अगर माफीनामा जमा होता है तो उस पर 25 अगस्त को विचार किया जाएगा।’
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खुद को निर्दोष बताते हुए माफी मांगने से किया इनकार
वहीं आज सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में कहा, ‘मेरे ट्वीट्स सद्भावनापूर्वक विश्वास के तहत थे, जिस पर मैं आगे भी कायम रहना चाहता हूं। इन मान्यताओं पर अभिव्यक्ति के लिए सशर्त या बिना शर्त की माफी निष्ठाहीन होगी।
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उन्होंने कहा, ‘मैंने पूरे सत्य और विवरण के साथ सद्भावना में इन बयानों को दिया है जो अदालत द्वारा निपटे नहीं गए हैं। अगर मैं इस अदालत के समक्ष बयान से मुकर जाऊं, तो मेरा मानना है कि अगर मैं एक ईमानदार माफी की पेशकश करता हूं, तो मेरी नजर में मेरे अंतकरण की अवमानना होगी और मैं उस संस्थान की जिसका मैं सर्वोच्च सम्मान करता हूं।’
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भूषण ने कहा, ‘मेरे मन में संस्थान के लिए सर्वोच्च सम्मान है। मैंने SC या किसी विशेष CJI को बदनाम करने के लिए नहीं, बल्कि रचनात्मक आलोचना की पेशकश करने के लिए ये किया था जो मेरा कर्तव्य है। मेरी टिप्पणी रचनात्मक है और संविधान के संरक्षक और लोगों के अधिकारों के संरक्षक के रूप में अपनी दीर्घकालिक भूमिका से SC को भटकने से रोकने के लिए हैं।
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अवमानना केस : क्या है पूरा मामला
बता दें कि 22 जून को वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने अदालत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को लेकर टिप्पणी की थी। इसके बाद 27 जून के ट्वीट में प्रशांत भूषण ने सर्वोच्च न्यायालय के छह साल के कामकाज को लेकर टिप्पणी की थी। इन ट्वीट्स पर स्वत: संज्ञान लेते हुए अदालत ने उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की थी।
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अदालत ने उन्हें नोटिस भेजा था। इसके जवाब में भूषण ने कहा था कि सीजेआई की आलोचना करना उच्चतम न्यायालय की गरिमा को कम नहीं करता है। उन्होंने कहा था कि पूर्व सीजेआई को लेकर किए गए ट्वीट के पीछे मेरी एक सोच है, जो बेशक अप्रिय लगे लेकिन अवमानना नहीं है।