सीएम साहब, जब स्कूल नहीं तो फीस भी माफ करवा दो | Nation One
हल्द्वानी । सीएम साहब, कोरानाकाल में स्कूल बंद हैं लेकिन, प्राइवेट स्कूल वाले ऑनलाइन पढ़ाई के बहाने बच्चों से पूरी फीस वसूल रहे हैं। ऐसे स्कूलों पर शिकंजा कसा जाए और बच्चों की फीस माफ की जाए। इस आशय का कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को खून से लिखा पत्र भेजा है, ये लोग एक पखवाड़े से फीस माफी को लेकर आंदोलनरत भी हैं।
फीस विरोधी आंदोलन के नेता हल्द्वानी नगर निगम के पार्षद रोहित कुमार ने अपने एक साथी मदद से सिरिंज के जरिए अपना खून निकलवाया। इसके बाद खून से पत्र लिखकर कहा कि प्राइवेट स्कूल वाले अभिभावकों के साथ मनमानी कर रहे हैं । सरकार को चाहिए कि प्राइवेट स्कूल मालिकों को फीस न लेने का आदेश जारी करे। कुछ अभिभावकों का कहना था कि, ऑनलाइन क्लास, पढ़ाई के नाम पर एक दिखावा है। फीस वसूली के लिए प्राइवेट स्कूल संचालक ऐसा कर रहे हैं।
एलकेजी से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई से कोई फायदा नहीं होता, क्योंकि न तो उन्हें कुछ समझ आ रहा और ना ही सभी बच्चों के पास ऑनलाइन पढ़ने की सुविधा है। अभिभावकों के मुताबिक एक तरफ बिना स्कूल गए बच्चे से पूरी फीस ली जा रही है, दूसरी तरफ घर बैठे इंटरनेट का खर्च भी अच्छा-खासा बढ़ गया है। कोरोना के कठिन दौर में आर्थिक दिक्कतों से जूझ रहे लोग ये दोहरी मार कैसे सहन करें, किसी को समझ नहीं आ रहा।
आपको बता दें, उत्तराखंड सरकार ने प्राइवेट स्कूलों को शैक्षणिक सत्र 2020- 21 में अपनी फीस नहीं बढ़ाने के निर्देश दिए हैं, आदेश के मुताबिक COVID-19 के कारण लागू लॉकडाउन के मद्देनजर निजी स्कूल इस शैक्षणिक सत्र में अपनी फीस नहीं बढ़ा सकते और ना ही वे ट्यूशन फीस के अतिरिक्त और कोई फीस ले सकते हैं।
शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने जून में आदेश जारी कर यह भी कहा था कि ट्यूशन फीस भी केवल वही स्कूल वसूल सकते हैं जो लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन कक्षाएं चलाते रहे हैं पर, इन स्कूलों में ट्यूशन फीस के साथ-साथ अन्य शुल्क भी वूसले जाने की शिकायतें मिल रही हैं। यही नहीं इसके लिए बच्चों के माता-पिता को फोन और मैसेज द्वारा परेशान किया जा रहा है।