साहब मेहरबान तो गधा पहलवान, उत्तराखंड राजनीति को लेकर पढ़े पूरी खबर | Nation One
देहरादून | पिछले काफी दिनों से उत्तराखंड सरकार में अजीबोगरीब घटनाओं को अमूमन देखा जा रहा हैं और जब सरकार पूर्ण बहुमत की हो तो ऐसी घटनाओं पर सवालो का उठना भी जायज़ हो जाता हैं। वहीं कुछ दिन पहले सरकार में शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय को आपने कहते सुना होगा कि सचिव उनकी बात पर अमल नहीं करते और आज इस बात पर मुहर लगा दी नगरीय विकास मंत्री मदन कौशिक ने।
बता दें कि मदन कौशिक के द्वारा की जाने वाली अधिकारियो की समीक्षा बैठक में कुंभ को लेकर समीक्षा होनी थी, जिसमें विभागों के सचिवों को इस बैठक में शामिल होने का आदेश मंत्री के द्वारा एक हफ्ते पहले ही दे दिया गया था। बावजूद इसके सचिव बैठक में नहीं पहुंचे जिससे कोधित होकर मदन कौशिक बिना समिक्षा किए वहां से चले गए और अधिकारियों पर गर्जते हुए देखें गए।
इन सब से यहां देखने को मिलता है कि सरकार को नौकरशाह अपनी मर्जी से चला रहे हैं। मदन कौशिक की समीक्षा बैठक में सचिव का नदारद रहना इस बात का संकेत है कि उत्तराखंड सरकार को यहां के नौकरशाह अपनी मर्जी से चला रहे हैं। आखिर क्या वजह है मंत्रीयो की बात अधिकारी मानने को तैयार नहीं है या कप्तान ने अधिकारीयों को ऐसा करने की नसीहत दी हुई है।
अब जो भी है कम से कम जनता तो नेता जी को किसी काम को करने के लिए तंग नहीं करेंगी क्योकि नेता जी के पास तो सीधा जवाब है, अधिकारी तो उनकी सुनते ही नहीं। तो भूला बात कुछ यूं है विपक्ष भी गलत ना कहे कि इस सरकार से तो ये सरकार खुद परेशान हो गयी।
वैसे किसी भी सरकार में इस प्रकार की घटनाओं को हल्के में लेने की भूल नहीं करनी चाहिए क्योंकि ये लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं हैं। अब देखना यह होगा कि क्या उत्तराखंड सरकार अधिकारीयों पर नकेल कसती हैं या फिर अपने मंत्रियों का चीरहरण कराती रहेगी। वैसे उत्तराखंड के सन्दर्भ में नौकरशाही पर ये कहावत सटीक बैठती हैं अंधे के आगे रोय अपने नैना खोय।
नेशन वन से आदिल पाशा की रिपोर्ट