“शिलारस” क्रूड ऑयल से क्या है भारत का नाता, पढ़ें पुरी खबर | Nation One
दुनिया में एक शब्द है “शिलारस”, जिसे हम “अपरिष्कृत तेल” या क्रूड ऑयल के नाम से भी जानते हैं। बता दे की शिलारस यानी क्रूड ऑयल, फ्रेक्शनल डिस्टलेशन की प्रोसेस से गुजरकर महत्वपूर्ण इंधन में परिवर्तित होता है, जिसमें पेट्रोल, डीजल, केरोसिन और प्राकृतिक गैस मुख्य है।
शिलारस का इतिहास
कहाँ जाता है की 19वीं सदी में डिगबोई(आसाम) को तेल नगरी के लिए जाना जाता था और वहाँ आज भी उत्पादन करने वाले कुछ सबसे पुराने तेल के कुएं हैं। अंग्रेजों ने ब्रिटिश काल के दौरान और कई दशकों तक यहां काम किया हैं।
लेकिन अब हाल यह हैं की आजादी के 72 साल बाद भी भारत उस स्थिति में नहीं है कि वह अपने घर उत्पाद हुए तेल से फल फूल सके।
बता दे की सरकार साल 1948 से ही तेल की कीमतें तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और अब तक यह परंपरा है कि सिर्फ अंतरराष्ट्रीय कीमतों के आधार पर कीमत रखी नहीं जाती क्योंकि घरेलू उत्पादन और रिफायनिंग कैपेसिटी लगातार बढ़ रही है।
वहीं 1970 के दशक से 2000 के शुरुआती सालों में ऑयल प्राइसेज कमेटी ने उत्पादन की घरेलू प्राकृत के आधार पर मूल्य निर्धारण की व्यवस्था बनाने का सुझाव दिया था। हालांकि 2010 में पेट्रोल की कीमत निर्धारण प्रक्रिया में सरकार ने अपनी भूमिका कम कर दी और 2014 में तो उसने कीमतों की पूरी तरह बाजार की गतिविधियों के भरोसे छोड़ दिया।
आपको बता दे की पिछले 1 महीने के अंतराल में सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर ताबड़तोड़ एक्साइज ड्यूटी लगा रखी है। तो महामारी के इस दौर में इसे चौतरफा मार की तरह देखा जा रहा है।
बता दे की पेट्रोल के दाम नई दिल्ली में 80.38 प्रति लीटर देखे गए जिस पर सरकार द्वारा 51.34 रुपीस प्रति लीटर यानी 64% और डीजल के दाम 80.19 प्रति लीटर पर 50.28 यानी 63.7% कर वसूला जा रहा है।
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बता दे की इसी तेल ने 90 के दशक में खाड़ी युद्ध करा डाला था,और इसी तेल के खतिर अमेरिका गिद्द की तरह gulf देशों में नजर टिकाए रहता है। ये ही नही इस तेल के कारण 2013-14 में “अच्छे दिन” की लहर ने आजादी के बाद किसी दल की ऐसी ताजपोशी कर डाली कि विपक्ष चारों खाने चित नजर आया।
अब देखना यह है कि कोरोना महामारी के दौर में तेल में लगी यें आग कितनी दूर तक जाती है और जनता का क्या भविष्य तय करती हैं।
इसपर भी नज़र डालिए
विश्व के पांच प्रमुख तेल उत्पादक देशों में नंबर एक पर है अमेरिका (15%),उसके बाद सऊदी अरेबिया(13%),रशिया(12%),कनाडा (5%)और चाइना(2%). बात करें निर्यात की तो सऊदी अरेबिया(16.1%) यहां शीर्ष स्थान पर है उसके बाद रशिया(11.4%) इराक (8.7%), कनाडा(6%) और अमेरिका (5%)है।
नेशन वन से प्रतीक वाल्डिया की रिपोर्ट