देहरादून में सालों बाद सुनाई दी घंटाघर की धड़कन…
देहरादून: आखिरकार करीब 12 साल बाद देहरादून का घंटाघर में बंद पड़ी धड़कन शनिवार से फिर शुरू हो गई। दून के प्रमुख चौक घंटाघर से आती टन-टन की आवाज सुनकर हर कोई हैरान था। मार्ग से गुजरने वाले लोग पहले टन-टन की आवाज सुनते और फिर घंटाघर के शीर्ष पर लगी घड़ियों की ओर देखते दिखे। मानो जैसे उन्हे भरोसा ही नहीं हो रहा हो कि यह आवाज और किसी की नहीं बल्कि घंटाघर की घड़ियों की ही है।
तालियों की गड़गड़ाहट से घंटाघर की ‘धड़कन’ का स्वागत…
बंगलुरू कर्नाटक से तकरीबन साढ़े नौ लाख रुपये में मंगाई गई छह डिजिटल घड़ी को शनिवार सुबह स्थापित कर दिया गया। इसके साथ ही इसके घंटे की टन-टन चालू हो गई। महापौर सुनील उनियाल गामा और नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने घड़ियों का शुभारंभ किया। स्थानीय दुकानदार और लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट से घंटाघर की ‘धड़कन’ का स्वागत किया। डिजिटल घड़ियां बिजली से संचालित होंगी व इसके लिए नया कनेक्शन भी लिया गया है।
ये भी पढ़ें: यात्रीगण कृपया ध्यान दे…अब ई-टिकट खरीदना हुआ महंगा, कल से IRCTC वसूलेगा ये चार्जेस…
घंटाघर के सौंदर्यीकरण की योजना साल 2007 में शुरू हुई…
घंटाघर के सौंदर्यीकरण की योजना साल 2007 में शुरू हुई थी, जबकि इसकी सुईयों ने काम करना बंद कर दिया था। उस दौरान एक निजी कंपनी ने यह जिम्मा उठाया मगर केवल घड़ी ठीक कराने पर सहमति दी गई। डीपीआर बनी मगर मामला टेंडर तक पहुंच खत्म हो गया। फिर साल 2013 में हुडको के साथ वार्ता आगे बढ़ी व सितंबर-2014 में 56 लाख 36 हजार की डीपीआर बनी। हुडको ने 40 लाख रुपये पर हामी भी भर दी थी, मगर फंड क्लीयरेंस नहीं मिल पाई।
ब्रिडकुल के जरिए नींव मजबूत कराई…
निगम ने मसूरी देहरा विकास प्राधिकरण के साथ मिलकर ओएनजीसी से बातचीत की। इसमें विज्ञापन के मसले पर मामला अटका रहा। इस बीच तीनों विभागों में बात चलती रही। नई डीपीआर भी तैयार की गई। इसमें तय हुआ कि ओएनजीसी घंटाघर पर अपने विज्ञापन लगा सकेगा। बाद में मामला नींव पर फंस गया। इसकी नींव बेहद कमजोर थी। निगम ने इसके लिए नई डीपीआर को तैयार किया और 60 लाख अलग से फंड दिया और ब्रिडकुल के जरिए नींव मजबूत कराई जाएगी। कुल मिलाकर पूरे कार्य पर करीब सवा करोड़ का खर्च होगा।