
देवभूमि में स्थित है एक ऐसा मंदिर जहां सोमवार को भी नहीं होती है भोलेनाथ की पूजा
पिथौरागढ़: यूं ही उत्तराखंड को देवताओं की भूमि नहीं कहा जाता है। यहां हर किलोमीटर की दूरी पर मंदिर स्थित है, और इन मंदिरों में कई ऐसे चमत्कारी चीजें जिसके बारे में शायद ही आप जानते होंगें। ऐसे ही एक चमत्कारी स्थान के बारे में हम आपको बताने जा रहे है जो उत्तराखंड में स्थित है। बता दें कि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से लगभग छः किलोमीटर दूर गांव बल्तिर में स्थित है, हथिया देवाल, यहां दूर-दूर से लोग आते हैं, लेकिन पूजा करने नहीं बल्की मंदिर की अनूठी स्थापत्य कला को निहारते लोग पहुंचते हैं। यहां शिवलिंग मौजूद तो है लेकिन मात्र दर्शन के लिए, यहां भगवान की पूजा नहीं की जाती।
इस मंदिर का नाम एक हथिया देवाल इसलिए पड़ा क्योंकि यह एक हाथ से बना हुआ है। यह मंदिर बेहद पुराना है और ग्रंथों, अभिलेखों में भी इस मंदिर का वर्णन मिलता है। दरअसल पुराने समय में यहां राजा कत्यूरी का शासन था। उस दौर के शासकों को स्थापत्य कला से बहुत लगाव था। लोगों का मानना है कि एक कुशल कारीगर ने मंदिर का निर्माण किया और खास बात यह थी कि कारीगर ने एक हाथ से मंदिर बनाना शुरू किया और पूरी रात में मंदिर तैयार कर दिया।