
विदेशी जोड़े को भाया देवभूमि…चकाचौंध छोड़ पहाड़ी परंपराओं संग लिए फेरे…
उत्तरकाशी: मां गंगा, योग, आध्यात्म व साहसिक पर्यटन के लिए मशहूर उत्तरकाशी की देव भूमि विदेशी पर्यटकों के लिए हमेशा से आकर्षण का केंद्र रही है। वहीं इटली के एक युवा जोड़े ने आधुनिक चकाचौंध को छोड़कर उत्तराखंड में वैदिक परंपराओं से विवाह किया। भटवाड़ी ब्लॉक के गणेशपुर स्थित आश्रम में हुए इस शादी समारोह में दक्षिण भारत और गढ़वाल की समृद्ध संस्कृति का अनूठा संगम देखने को मिला।
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इटली की स्टेफानो पिपिताने और जूलिया कंग्लारियो ने…
उत्तराखंड की खूबियों से आकर्षित इटली की स्टेफानो पिपिताने और जूलिया कंग्लारियो ने आधुनिक चकाचौंध को छोड़कर भारतीय रीति रिवाज से विवाह किया। गणेशपुर स्थित योग विद्या गुरुकुल आश्रम के स्वामी आनंद चेतन सरस्वती के इन शिष्यों ने मां गंगा के तट पर अपने दांपत्य जीवन का शुभारंभ किया। तीन दिनों तक चले इस समारोह के पहले दिन वर-वधू के साथ उनके माता पिता व अन्य सगे संबंधियों ने गंगोत्री धाम में दर्शन किए।
वैदिक संस्कारों के अनुसार वर-वधू का नाम बदलकर अब…
बृहस्पतिवार शाम को गढ़वाली परंपराओं के तहत मंगल स्नान, मेहंदी व महिला संगीत का कार्यक्रम हुआ। ढोल दमाऊं के बीच रातभर सभी लोगों ने रासौं तांदी आदि नृत्य किया। शुक्रवार सुबह वर पक्ष के लोग बारात लेकर विवाह स्थल पर पहुंचे, जहां वधू पक्ष के लोगों ने बारातियों का पारंपरिक गढ़वाली टोपी पहनाकर स्वागत किया।समारोह के अंत में वर-वधू ने काशी विश्वनाथ मंदिर में जाकर सुखी जीवन की कामना की। उधर स्वामी आनंद चेतन सरस्वती ने बताया कि वैदिक संस्कारों के अनुसार वर-वधू का नाम बदलकर अब अनंत शर्मा व लक्ष्मी शर्मा रखा गया है। वैवाहिक जीवन के सभी कर्मकांड में यह नवदंपति इसी नाम का प्रयोग करेंगे।
गढ़वाल के मांगल गीत, महिला संगीत व हल्दी समारोह…
इटली के नवदंपति जूलिया व स्टेफानो ने बताया कि पूरा भारत घूमने के बाद उन्हें दक्षिण भारत में वैदिक संस्कृति व संस्कृत भाषा का सही ज्ञान हुआ। यही कारण रहा कि उन्होंने अपनी शादी गढ़वाल के उत्तरकाशी में करने की सोची और दक्षिण भारत के पुजारियों को बुलाकर सारे रीति रिवाज कराए। हालांकि गढ़वाल के मांगल गीत, महिला संगीत व हल्दी समारोह भी उन्हें बहुत आकर्षित करते हैं। उन्होंने कहा कि ढोल दमाऊं और रणसिंगे की धुनों में रासौं तांदी करने का अलग ही आनंद था।