जानिए क्यों मनाया जाता है हरियाली तीज और क्या है इसका महत्व…
देहरादून: हरियाली तीज का त्योहार इस बार शुक्ल पक्ष की तृतीया यानी की 13 अगस्त को मनाया जाएगा। यह दिन शादीशुदा महिलाओं के लिए बहुत खास होता है। क्योंकि इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती है।
इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं, व्रत और पूजा करती हैं और पति के साथ लंबे दांपत्य की कामना करती हैं। यह व्रत बच्चों के लिए भी रखा जाता है। कुछ महिलाएं यह व्रत निर्जला भी रखती हैं।
क्यों मनाई जाती है तीज?
सुहागिन महिलाओं के बीच तीज पर्व का खास महत्व है। मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए पूरे तन-मन से करीब 108 सालों तक घोर तपस्या की। पार्वती के तप से प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। तीज पर्व पार्वती को समर्पित है, जिन्हें तीज माता कहा जाता है।
तीज का पर्व कब-कब मनाया जाता है?
हिन्दू धर्म में तीज साल में चार बार आती है।
अखा तीज: इस तीज को अक्षय तृतीया तीज भी कहते हैं। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार बैसाख महीने की ।शुक्ल पक्ष तृतीया को अक्षया तृतीया तीज मनाई जाती है। इस बार अखा तीज 18 अप्रैल को थी।
हरियाली तीज: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष तृतीया को हरियाली तीज मनाई। जाती है. इस बार 13 अगस्त को हरियाली तीज मनाई जाएगी.
कजरी तीज: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद यानी कि भादो माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया को कजरी तीज मनाई जाती है. इस बार 29 अगस्त को कजरी तीज मनाई जाएगी.
हरतालिका तीज: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भादो माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज मनाई जाती है. इस बार 12 सितंबर को हरतालिका तीज मनाई जाएगी.
हरियाली तीज का महत्व
हरियाली तीज को छोटी तीज और श्रावण तीज के नाम से भी जाना जाता है। सावन माह में पड़ने वाली यह तीज सुहागिन स्त्रियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार यह त्योहार पति के प्रति पत्नी के समर्पण का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन गौरी-शंकर की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सुहागिनों के पति दीर्घायु होते हैं और लड़कियों को मनचाहा वर मिल जाता है।
हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त
हरियाली तीज की तिथि आरंभ: 13 अगस्त की सुबह 8 बजकर 38 मिनट.
हरियाली तीज की तिथि समाप्त: 14 अगस्त की सुबह 5 बजकर 46 मिनट.
हरियाली तीज की व्रत कथा
हरियाली तीज की व्रत कथा इस प्रकार है: शिवजी कहते हैं, ‘हे पार्वती! बहुत समय पहले तुमने हिमालय पर मुझे वर के रूप में पाने के लिए घोर तप किया था। इस दौरान तुमने अन्न-जल त्याग कर सूखे पत्ते चबाकर दिन व्यतीत किया था। मौसम की परवाह किए बिना तुमने निरंतर तप किया। तुम्हारी इस स्थिति को देखकर तुम्हारे पिता बहुत दुःखी और नाराज़ थे। ऐसी स्थिति में नारदजी तुम्हारे घर पधारे।
जब तुम्हारे पिता ने उनसे आगमन का कारण पूछा तो नारदजी बोले- ‘हे गिरिराज! मैं भगवान् विष्णु के भेजने पर यहां आया हूं। आपकी कन्या की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर वह उससे विवाह करना चाहते हैं। इस बारे में मैं आपकी राय जानना चाहता हूं।’ नारदजी की बात सुनकर पर्वतराज अति प्रसन्नता के साथ बोले- हे नारदजी! यदि स्वयं भगवान विष्णु मेरी कन्या से विवाह करना चाहते हैं तो इससे बड़ी कोई बात नहीं हो सकती. मैं इस विवाह के लिए तैयार हूं।
शिवजी पार्वती जी से कहते हैं, ‘तुम्हारे पिता की स्वीकृति पाकर नारदजी, विष्णुजी के पास गए और यह शुभ समाचार सुनाया। लेकिन जब तुम्हें इस विवाह के बारे में पता चला तो तुम्हें बहुत दुख हुआ।